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UP Case: उन्नाव के बहुचर्चित ब्लॉक प्रमुख हत्याकांड में 21 साल बाद तीन दोषियों को उम्रकैद

UP Case: जिले के बहुचर्चित नवाबगंज ब्लॉक प्रमुख हत्याकांड में 21 साल बाद अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। वर्ष 2004 में ब्लॉक कार्यालय में तत्कालीन ब्लॉक प्रमुख रामनरेश विमल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

Published by Swarnim Suprakash

उन्नाव से सत्यम बाजपेयी की रिपोर्ट 

UP Case: जिले के बहुचर्चित नवाबगंज ब्लॉक प्रमुख हत्याकांड में 21 साल बाद अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है। वर्ष 2004 में ब्लॉक कार्यालय में तत्कालीन ब्लॉक प्रमुख रामनरेश विमल की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। गुरुवार को जिला एससी-एसटी कोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

हत्याकांड की जानकारी

26 जुलाई 2004 को विकास खंड नवाबगंज के ब्लॉक प्रमुख रहे रामनरेश विमल अपने कार्यालय में कार्य कर रहे थे। इसी दौरान आरोपियों ने ब्लॉक परिसर में घुसकर उन पर गोलियां बरसाईं, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इस सनसनीखेज हत्या से पूरे जिले में दहशत फैल गई थी। घटना के बाद दिवंगत के भाई रामकुमार विमल ने नवाबगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।

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आरोपियों की गिरफ़्तारी

रामकुमार की तहरीर पर पुलिस ने अवधेश प्रताप सिंह, उनके पुत्र धीरेन्द्र प्रताप सिंह, बालेन्द्र सिंह, छोटू, किशोर और बबलू के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर सभी को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी अवधेश प्रताप सिंह और उनके पुत्र धीरेन्द्र प्रताप सिंह की मौत हो गई। वहीं, बालेन्द्र सिंह को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया।

लम्बे समय बाद मिला न्याय

लंबी सुनवाई और गवाहों के बयान दर्ज होने के बाद बुधवार को जिला एससी-एसटी कोर्ट ने शेष तीन आरोपियों छोटू, किशोर और बबलू को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने तीनों पर जुर्माना भी लगाया है।
मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी ने बताया कि यह बेहद चुनौतीपूर्ण मुकदमा था, क्योंकि घटना के लंबे समय बाद गवाहों और सबूतों को एकसाथ रखना आसान नहीं था। फिर भी लगातार प्रयासों से न्याय सुनिश्चित हुआ। वादी रामकुमार विमल ने फैसले पर संतोष जताते हुए कहा, “भाई की हत्या के बाद से ही हमने न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी। हमारे अधिवक्ता और शासकीय अधिवक्ता मनोज कुमार पांडे की मेहनत से आज हमें न्याय मिला। देर जरूर हुई, लेकिन अब भैया की आत्मा को शांति मिलेगी।”

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21 साल पुराना है मामला

यह मामला अपने समय में न केवल जिले में बल्कि प्रदेश भर में चर्चा का विषय रहा। ब्लॉक प्रमुख जैसे निर्वाचित जनप्रतिनिधि की कार्यालय में हत्या ने स्थानीय राजनीति और कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। लंबे समय तक यह केस अदालत में विचाराधीन रहा, गवाहों की पेशी और आरोपियों की कानूनी दलीलों के चलते सुनवाई खिंचती रही।

कब हुआ फैसला और किसने सुनाया

उक्त मुकदमे में गुरुवार को अपर जिला जज कोर्ट संख्या दो कविता मिश्रा ने शेष तीनों आरोपित ड्राइवर छोटू उर्फ वीरभान, किशोर कुमार यादव और सुनील उर्फ बब्लू पासी को ब्लाक प्रमुख रामनरेश की हत्या और उसके साथी आशाराम पर जानलेवा हमले का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

दिवंगत ब्लॉक प्रमुख के परिजनों और वादी रामकुमार ने क्या कहा

 दिवंगत ब्लॉक प्रमुख रामनरेश के भाई और मामले मे वादी रामकुमार ने कहा है कि आज मेरे भाई की आत्मा को शांति मिल गयी वही मृतक  ब्लॉक प्रमुख नरेश कुमार के पुत्र पूर्व जिला पंचायत सदस्य धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि उम्मीद नहीं थी कि न्याय मिलेगा लेकिन देर से ही सही न्याय जरूर मिला लगातार हम लोग 20 साल से संघर्ष कर रहे थे आज सत्य की जीत हुई है हम लोग हिम्मत हार चुके थे लेकिन अंत मे न्याय मिला।  मैं न्याय व्यवस्था का जीवन भर आभारी रहूंगा।

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कब और कहा हुई थी घटना जानिए इतिहास

अजगैन क्षेत्र स्थित नवाबगंज ब्लाक कार्यालय में 26 जुलाई 2004 को तत्कालीन ब्लाक प्रमुख रामनरेश धोबी भाई रामकुमार, बेटे धीरेंद्र कुमार के अलावा सराय जोगा निवासी आशाराम और जहांगीराबाद निवासी अमर पाल के साथ बैठे थे। तभी उनके कुछ लोग उनके कार्यालय पहुंचे और गाली गलौज करने हुए ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें ब्लाक प्रमुख रामनरेश की मौके पर ही मौत हो गई। जबकि, आशाराम गोली लगने से घायल हो गया।

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