Home > देश > महाराष्ट्र के 12431 मर्द बने औरत! लेते रहे लड़कियों वाले इस स्कीम का पैसा, सरकार को 164 करोड़ का नुकसान

महाराष्ट्र के 12431 मर्द बने औरत! लेते रहे लड़कियों वाले इस स्कीम का पैसा, सरकार को 164 करोड़ का नुकसान

Ladki Bahin Yojana: मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना में भारी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है. जिसे सुन कर हर कोई हैरान रह गया.

By: Divyanshi Singh | Published: October 21, 2025 9:45:40 AM IST



Mukhyamantri Majhi Ladki Bahin Yojana: महाराष्ट्र सरकार की “मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन योजना” के तहत कुछ ऐसा हुआ जिसे सुन कर हर कोई दंग रह गया. बता दें कि इस योजना के तहत 12,431 मर्द, लड़की बन कर लम्बे समय तक सरकार से पैसे लेते रहें. बता दें कि इस योजना के तरह हर महीने महिलाओं को 1,500 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग ने इसकी पुष्टि की है. जांच के बाद उन्हें लाभार्थियों की सूची से हटा दिया गया.

मामला यहीं नहीं थमा जांच में ये भी पता चला है कि इस योजना के तहत 77,980 उन महिलाओं के अकाउंट में भी पैसे गए हैं जो इस योजना के लिए अपात्र हैं.

 ₹164 करोड़ का नुकसान 

आरटीआई के जवाब के अनुसार इन पुरुषों को 13 महीने तक ₹1,500 प्रति माह का भुगतान किया गया जबकि अपात्र महिलाओं को यह राशि 12 महीने तक मिली. इस तरह सरकार ने कुल ₹164.52 करोड़ से ज़्यादा की राशि गलत खातों में वितरित की जिसमें से लगभग ₹24.24 करोड़ पुरुषों को और ₹140.28 करोड़ महिलाओं को वितरित किए गए.

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कब शुरू की गई थी योजना?

यह योजना महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से लगभग चार महीने पहले जून 2024 में शुरू की गई थी. अगस्त 2024 में, शिंदे-फडणवीस-अजित पवार सरकार ने इसके प्रचार के लिए ₹199.81 करोड़ के बजट की घोषणा की. उस समय विपक्ष ने इस योजना को “चुनाव-पूर्व लोकलुभावन उपाय” करार दिया था.

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सरकार पर 3700 करोड़ का वित्तीय बोझ

वर्तमान में लगभग 2.41 करोड़ महिलाएं इस योजना से लाभान्वित हो रही हैं जिसके परिणामस्वरूप सरकार पर प्रति माह लगभग ₹3,700 करोड़ का वित्तीय बोझ पड़ रहा है. महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से एक अलग आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि लगभग 2,400 सरकारी कर्मचारियों, जिनमें कई पुरुष भी शामिल हैं, ने भी इस योजना का अनुचित लाभ उठाया है. इनमें कृषि, समाज कल्याण, आदिवासी विकास, आयुर्वेद निदेशालय और जिला परिषदों के कर्मचारी शामिल हैं. हालांकि, अब तक किसी भी गलत भुगतान के विरुद्ध कोई वसूली या दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई है.

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