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Balaghat:पुलिस बनी हमदर्द, हार्डकोर नक्सली की मां का कराया आंखों का ऑपरेशन

पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में बुनियादी सुबिधाएँ मुहैया कराई गयी, संगीता नक्सली की मां चम्मेबाई आंखों की रोशनी मिलने से खुश है

By: Ratna Pathak | Last Updated: August 19, 2025 5:44:15 PM IST



शौकत बिसाने की बालाघाट से रिपोर्ट: बालाघाट की पुलिस नक्सली खात्मा को लेकर लगातार प्रयासरत है। इस बीच पुलिस का हमदर्द रूप सामने आया है। पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा की पहल पर पुलिस ने हार्डकोर 45 लाख रूपये की ईनामी महिला नक्सली संगीता की मां चम्मेबाई पंद्रे उम्र 80 वर्ष निवासी राशिमेटा की आंखों का ऑपरेशन कराकर उसे रोशनी देने का कार्य किया है।

पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में बुनियादी सुबिधाएँ मुहैया कराई जाएँगी

दरअसल जिले के नक्सल प्रभावित सोनगुडडा पुलिस चौकी अंतर्गत राशिमेटा की रहने वाली चम्मेबाई अपने छोटे नातियों के साथ रहती है। विगत 2 साल से वह आंखों से दिखाई नहीं देने की समस्या से जूझ रही थी। लेकिन उसके उपचार को लेकर कोई माध्यम नहीं मिल रहा था और ना ही उसके पास कोई व्यवस्था बन रही थी। इस बीच बालाघाट में पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा के नेतृत्व में नक्सल गांवों से जुडे थाना व पुलिस चौकियों में एकल सुविधा केंद्र का संचालन कर शासन की विविध आवश्यक सुविधा मुहैया कराये जाने का कार्य किया जा रहा है। तीन दर्जन से अधिक एकल सुविधा केंद्र का संचालन कर वहां पर  राशनकार्ड, आधार कार्ड, वनाधिकार पटटा, समग्र आईडी, निवास प्रमाण पत्र व जाति प्रमाण पत्र सहित कुछ जरूरी दस्तावेज नहीं है या बने नहीं या उसमें सुधार की जरूरत है उसे बनवाया जा रहा है। जिसके तहत शिविर का भी आयोजन किया जा रहा है। इसी में नक्सली संगीता की मां चम्मेबाई भी आयी थी और उसने अपने आंखों की रोशनी को लेकर पुलिस अधीक्षक को अवगत कराया था।

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आंखों की रोशनी देने का कार्य किया गया

इसी के तहत पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा की पहल पर राशिमेटा गांव से नक्सली संगीता की मां चम्मेबाई सहित आधा दर्जन बुजुर्गो को ऑपरेशन के लिये चिन्हित कर आंखों की रोशनी देने का कार्य किया गया। एसपी ने इन बुजुर्गो को साल देकर सम्मानित भी किया।

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संगीता नक्सली दाल छोड के आने की अपील की गयी 

संगीता की मां चम्मेबाई आंखों की रोशनी मिलने से खुश है। वह अपनी बेटी संगीता उर्फ सायवंती पंदे्र से नक्सली दलम छोड़कर मुख्य धारा में आने की अपील की। चम्मे बाई ने बताया कि उसकी बेटी काफी समय पहले परिवार को छोड़कर नक्सली दलम में चले गई थी। जो कि अब तक नहीं लौटी और ना ही मिलने आती है। प्रारंभ में दलम में जाने के तीन साल बाद आयी थी लेकिन इसके पश्चात नहीं आयी है।

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संगीता को मुख्य धारा में जोड़ा जायेगा

वही पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने कहा कि भरोसे की यह नीव है,समाज के हर व्यक्ति को यह भरोसा होना चाहिए कि प्रशासनिक अमला उसके लिये है और उसकी जरूरतो ंको पूरा करने के लिये है, उसके डेवलपमेंट के लिये है। यह संदेश जब संगीता के पास जायेगा तो वह बहुत जल्दी अपनी बेटी संगीता को संरेडर करने के लिये प्रेरित करेगी और हमारे पास लायेगी। हमारा भी प्रयास रहेगा कि संगीता को मुख्य धारा में जोड़ा जाये।

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