Home > छत्तीसगढ़ > Chhattisgarh: अमित शाह का बयान, सलवा जुडूम पर सियासी संग्राम

Chhattisgarh: अमित शाह का बयान, सलवा जुडूम पर सियासी संग्राम

Chhattisgarh: अमित शाह का बयान, सलवा जुडूम पर सियासी संग्राम, UPA के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार पर बरसे गृह मंत्री शाह

By: Swarnim Suprakash | Published: August 28, 2025 5:53:12 PM IST



रायपुर, छत्तीसगढ़ से दीपक विश्वकर्मा की रिपोर्ट 
Chhattisgarh: 5 जुलाई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने बस्तर में चल रहे सलवा जुडूम अभियान पर रोक लगा दी थी। अदालत ने इसे लोकतंत्र और संविधान की आत्मा के खिलाफ बताते हुए कहा था कि आदिवासी युवाओं को हथियार थमाकर नक्सलियों से लड़ाना असंवैधानिक है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि सभी स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स (SPO) से हथियार तुरंत वापस लिए जाएं और उन्हें पुलिसिंग से हटाकर वैकल्पिक रोजगार दिया जाए।

SPOs वाला निर्णय वापिस न लिया होता तो अबतक नक्सलवाद होता ख़त्म – अमित शाह

अब विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार और उस फैसले को लिखने वाले रिटायर्ड जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को लेकर सियासत तेज हो गई है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उन पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि 2011 के फैसले ने नक्सलवाद को बढ़ावा दिया। शाह का दावा है कि अगर सलवा जुडूम पर रोक न लगाई जाती तो 2020 तक नक्सलवाद पूरी तरह खत्म हो गया होता।

इस फैसले ने आदिवासियों के आत्मरक्षा के अधिकार को छिना 

22 अगस्त को केरल में एक कार्यक्रम और 25 अगस्त को ANI को दिए इंटरव्यू में शाह ने कहा— “रेड्डी ने सलवा जुडूम को खारिज कर आदिवासियों के आत्मरक्षा के अधिकार को छीन लिया। यही वजह है कि यह देश दो दशकों से नक्सलवाद झेलता रहा।”

Voter Adhikar Yatra:  राहुल गांधी के मंच से PM मोदी की मां को गाली, भड़की BJP ने कांग्रेस और आरजेडी के ‘शहजादों’ को नाप दिया!

पूर्व न्यायाधीशों में मतभेद

शाह की टिप्पणी पर पूर्व न्यायाधीशों के दो खेमे बन गए हैं। जस्टिस मदन लोकुर, कुरियन जोसेफ, विक्रमजीत सेन, गोपाल गौड़ा जैसे पूर्व जजों ने बयान जारी कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या से न्यायपालिका की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचता है। वहीं पूर्व CJI रंजन गोगोई और पी. सथाशिवम समेत 56 पूर्व जजों ने पलटवार करते हुए कहा कि न्यायाधीशों को राजनीतिक विवादों में शामिल नहीं होना चाहिए।

रेड्डी ने खुद दी सफाई

UPA के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार श्री रेड्डी ने कहा कि  “यह मेरा व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश था। मैंने केवल फैसला लिखा। अगर पूरा आदेश पढ़ा जाता तो गृहमंत्री ऐसी टिप्पणी नहीं करते।”

सलवा जुडूम का इतिहास

2005 में बस्तर के दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जिलों में सलवा जुडूम अभियान की शुरुआत हुई। गोंडी भाषा में इसका अर्थ है “शांति का अभियान”। कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा इसके सबसे बड़े चेहरा बने। बाद में भाजपा सरकार ने भी इस आंदोलन को समर्थन दिया। SPO भर्ती कर हथियार दिए गए और हजारों ग्रामीणों को नक्सलियों से बचाने के नाम पर कैंपों में बसाया गया।

मानवाधिकार संगठनों ने इस दौरान हत्या, बलात्कार, जबरन विस्थापन और गांव जलाने जैसे गंभीर आरोप लगाए। नक्सलियों ने भी हमले तेज कर दिए, नतीजा यह हुआ कि बस्तर लंबे समय तक भय और आतंक की चपेट में रहा। बताया जाता है कि इस दौरान करीब 644 गांव खाली हो गए थे।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला और बाद की स्थिति

2011 में सुप्रीम कोर्ट ने SPO की नियुक्तियां रद्द कर दीं और सलवा जुडूम को गैरकानूनी ठहराया। फैसले के बाद सरकार ने SPO को पुलिस व CRPF में शामिल कर कोया कमांडो बनाया। 2016 में ‘बस्तर फाइटर्स’ नामक नई फोर्स भी खड़ी की गई। आलोचकों का कहना है कि सलवा जुडूम केवल नाम से खत्म हुआ, व्यवहार में यह आज भी अलग रूप में जारी है।

Odisha News: कोरापुट में मूसलाधार बारिश से बह गई सड़क, ट्रैक्टर पलटा – संपर्क पूरी तरह बाधित

अलग-अलग दृष्टिकोण

छत्तीसगढ़ पुलिस के रिटायर्ड डीजी आर.के. विज का कहना है कि सलवा जुडूम सरकार प्रायोजित आंदोलन नहीं था, बल्कि ग्रामीण खुद नक्सलियों के खिलाफ खड़े हुए थे। वहीं प्रोफेसर नंदिनी सुंदर और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि DRG और बस्तर फाइटर्स जैसी फोर्स सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सीधी अवहेलना हैं।

इस बीच महेंद्र कर्मा के बेटे छविंद्र कर्मा ने कहा है कि नक्सलवाद खत्म करने के लिए “सलवा जुडूम 2” जैसे अभियान की जरूरत है। उनके मुताबिक, बंदूक से नक्सलियों को कुछ समय तक रोका जा सकता है, लेकिन विचारधारा को खत्म करने के लिए सामूहिक आंदोलन जरूरी है।

पहलगाम के बाद बिहार में तबाही मचाने की कोशिश? नेपाल के रास्ते जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने की घुसपैठ

सलवा जुडूम टाइमलाइन 2005 से 2025 तक का कलेक्टिव डेटा पढ़ कर समझ जाएंगे पूरा मामला 

2005 – दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर में सलवा जुडूम की शुरुआत, जिसके चेहरा ‘महेंद्र कर्मा’ थे। 
2006–2009 – SPO की भर्ती, हजारों ग्रामीण कैंपों में विस्थापित हुए और क्षेत्र में हिंसा बढ़ी।
2011 (5 जुलाई) – माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सलवा जुडूम पर रोक लगाई, SPO की नियुक्तियां रद्द कर दीं।
2013 – दरभा घाटी नक्सली हमले में महेंद्र कर्मा की हत्या हुई जिसने अभियान को विवादित बना दिया।
2016 – छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘बस्तर फाइटर्स’ फोर्स बनाई।
2023–24 – नंदिनी सुंदर और अन्य ने आरोप लगाया कि DRG और बस्तर फाइटर्स माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हैं।
2025 – उपराष्ट्रपति चुनाव में बी. सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी के बाद सलवा जुडूम पर फिर सियासी संग्राम गरम है।

Advertisement