ज़ेबा की रिपोर्ट, IIT Kanpur, UP: कानपुर के आईआईटी वैज्ञानिकों ने एक ऐसी विशेष इंसुलेशन शीट तैयार की है, जो भवनों का तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस तक कम करने में सक्षम है। इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके इस्तेमाल से एयर कंडीशनर पर होने वाला खर्च आधा हो जाता है। यानी जहां गर्मियों में ठंडक पाने के लिए लोग घंटों एसी चलाते हैं, वहीं यह शीट लगाकर बिजली बिल को काफी हद तक घटाया जा सकता है।
कपड़े और पॉलिमर इंसुलेशन से तैयार करी गई शीट
आईआईटी द्वारा विकसित यह शीट एक खास किस्म के कपड़े और पॉलिमर इंसुलेशन से तैयार की गई है। इसे “पेपर कोटेड विद पॉलिमर” कहा जा सकता है। इसमें पॉलिमर की कोटिंग इस तरह की गई है कि यह छत, दीवार या पानी की टंकी जैसी किसी भी सतह पर लगाकर ऊष्मा को अंदर आने से रोक देती है। इसकी सफेद सतह सूरज की सीधी किरणों को परावर्तित कर देती है और जो थोड़ी बहुत गर्मी अंदर प्रवेश करती भी है, वह परतों के बीच फंसकर आगे नहीं बढ़ पाती। यही कारण है कि भवन के अंदर का वातावरण काफी ठंडा बना रहता है।
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कीमत बनती है इसे खास
इस शीट की कीमत भी इसे खास बनाती है। जहां बाजार में उपलब्ध अन्य शीटें 100 से 200 रुपये प्रति वर्ग फीट तक की हैं, वहीं आईआईटी की यह शीट केवल 50 से 60 रुपये प्रति वर्ग फीट में उपलब्ध है। इसे लगाने के लिए किसी अलग फ्रेम, लोहे या लकड़ी के ढांचे की आवश्यकता नहीं होती। इसे सीधे छत, दीवार या टंकी पर चिपकाया या बांधा जा सकता है। बारिश में भी यह शीट खराब नहीं होती और इसे आसानी से साफ करके दोबारा कहीं और भी लगाया जा सकता है।
एक साल पहले ही ले लिया था पेटेंट
इस तकनीक का पेटेंट आईआईटी कानपुर ने एक साल पहले ले लिया था और अब इसकी स्टार्टअप कंपनी “गिटीटेक” ने उत्पादन भी शुरू कर दिया है। कंपनी ने इस शीट को कुछ घरों और फैक्ट्रियों में लगाकर परीक्षण किया, जिसमें बेहद सकारात्मक नतीजे सामने आए। औद्योगिक क्षेत्रों की कुछ फैक्ट्रियों में जून के महीने में बिजली खपत 25 से 30 प्रतिशत तक कम हो गई। पानी की टंकियों पर इस शीट का सबसे ज्यादा उपयोग किया जा रहा है, जिससे गर्मियों में पानी गरम नहीं होता और सर्दियों में बहुत ठंडा नहीं होता।
घरों और ऑफिसों के लिए बेहद फायदेमंद
आईआईटी की यह खोज न सिर्फ घरों और ऑफिसों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है, बल्कि औद्योगिक उपयोग के लिए भी बेहद उपयोगी है। यहां तक कि खिड़की के पर्दों में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले समय में यह तकनीक आम लोगों के लिए बड़ी राहत साबित होगी और गर्मी से बचने का सस्ता और टिकाऊ विकल्प बनेगी।