जयपुर से संवाददाता की खास रिपोर्ट
Jaipur: प्रदेश में कृष्ण जन्माष्टमी उत्साह के साथ मनाया जा रहा है, आमेर के जगत शिरोमणि मंदिर, मेहंदी का बास स्थित सीताराम मंदिर, जयसिंहपुरा खोर श्याम वाला की ढाणी स्थित श्री इच्छा पूर्ण हनुमान मंदिर में विशेष कार्यक्रम का आयोजन।
मंदिरों में सजाए जा रही फूल बंगला झांकी, सीताराम मंदिर में पहली बार सजाई गई नोटों की भव्य झांकी, मंदिरों में दर्शन के लिए उमड़ रहा भक्तों का सैलाब, साथ ही घर-घर में नन्हे बच्चों को कृष्ण के रूप में सजाया जा रहा, सुबह से ही मंदिरों और घरों में भजन, कीर्तन, सत्संग का उत्साह देखने को मिल रहा।
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श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है पर्व
प्रदेशभर में जन्माष्टमी का पर्व उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। राजधानी जयपुर के आमेर में सुबह से ही मंदिरों और घरों में धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रही। आमेर का जगत शिरोमणि मंदिर, मेहंदी का बास स्थित सीताराम मंदिर और जयसिंहपुरा खोर श्याम वाला की ढाणी का श्री इच्छा पूर्ण हनुमान मंदिर भक्ति भाव और सजावट से जगमगा उठे हैं। मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। हर ओर भजन-कीर्तन और सत्संग की स्वर लहरियां वातावरण को भक्तिमय बना रही हैं। जगत शिरोमणि मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ कृष्ण और मीरा के अद्भुत दर्शन के लिए उमड़ी रही, वहीं सीताराम मंदिर में इस बार पहली बार नोटों की भव्य झांकी सजाई गई, जिसने भक्तों का विशेष आकर्षण खींचा। अन्य मंदिरों में फूल बंगला झांकियां सजाकर रंग-बिरंगी रोशनी और सुगंधित पुष्पों से पूरा वातावरण मोहक बना दिया गया।
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मंदिर ही नहीं बल्कि हर घर में जन्माष्टमी का उत्सव
केवल मंदिर ही नहीं, बल्कि घर-घर में भी जन्माष्टमी का उल्लास नजर आ रहा है। लोग अपने-अपने घरों में लड्डू गोपाल की झांकी सजाकर विशेष पूजन कर रहे हैं। नन्हे-मुन्ने बच्चों को भगवान कृष्ण और राधा के रूप में सजाया जा रहा है। बच्चे बांसुरी, मुरली और मोरपंख धारण किए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
भोर से ही भक्तजन मंदिरों में कतारों में लगकर दर्शन का लाभ ले रहे हैं। कई जगहों पर झांकियों के साथ-साथ भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है। स्थानीय लोग और बाहर से आए श्रद्धालु पूरे उत्साह के साथ जन्माष्टमी महोत्सव में शामिल हो रहे हैं।
भक्ति, उल्लास और सांस्कृतिक रंगों के बीच जन्माष्टमी का पर्व जयपुर और आसपास के क्षेत्रों में आस्था और परंपरा का जीवंत उदाहरण बन गया है।