Donald Trump Asim Munir: पहलगाम हमले के बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही अमेरिका पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर पर मेहरबान नजर आ रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दो बार मुनीर को अमेरिका बुला चुके हैं। ट्रंप की शरण में आने के बाद, मुनीर ने भारत पर परमाणु हमले की धमकी दी है। मुनीर को अहमियत देकर ट्रंप न केवल भारत, बल्कि तीन और देशों को भी कड़ा संदेश दे रहे हैं। ये तीन देश हैं चीन, रूस और पाकिस्तान।
अगर मुनीर के ज़रिए पाकिस्तान अमेरिका के करीब आता है, तो इसका मतलब है कि वह चीन से दूर हो जाएगा। ट्रंप का यही मकसद है। चीन का पाकिस्तान में बहुत कुछ दांव पर लगा है। सीपीईसी भी इसी का एक हिस्सा है। चीन ने पाकिस्तान को कर्ज़ देकर अपनी गोद में बिठा रखा है। चीन के हथियारों की मदद से ही पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर लड़ा था। अब अमेरिका पाकिस्तान को अपने करीब लाकर उसे चीन से दूर करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान सामरिक दृष्टि से बेहद अहम है और अफगानिस्तान व ईरान तक अपनी पहुँच बनाए रखने के लिए अमेरिका के लिए पाकिस्तान बेहद अहम हो जाता है।
पाकिस्तान का सबसे अहम साझेदार है चीन
ये जग जाहिर है कि चीन, पाकिस्तान का सबसे अहम साझेदार है, जिसके साथ उसके गहरे आर्थिक, सामरिक और सैन्य संबंध हैं। चीन ने पाकिस्तान में अपना अच्छा खासा पैसा इन्वेस्ट किया हुआ है। लेकिन साथ ही, पिछले तीन दशकों में बीजिंग के वैश्विक महाशक्ति के रूप में उदय ने उसे वाशिंगटन का मुख्य प्रतिद्वंद्वी बना दिया है। चीन ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में 62 अरब डॉलर का निवेश किया है, जो पश्चिमी चीन को पाकिस्तान के रास्ते अरब सागर से जोड़ने वाली एक विशाल बुनियादी ढाँचा परियोजना है।
वह पाकिस्तान को क्या संदेश दे रहे हैं?
पाकिस्तान में प्रधानमंत्री होने के बावजूद, ट्रंप वहाँ के सेना प्रमुख को महत्व दे रहे हैं। यह शाहबाज़ शरीफ़ के लिए एक सीधा संदेश है। यह इस बात का भी प्रमाण है कि पाकिस्तान में लोकतंत्र नाम की कोई चीज़ नहीं है। वहाँ असली ताकत सेना है। शाहबाज़ तो बस एक कठपुतली हैं। मुनीर को मिल रहे महत्व से उनका मनोबल भी बढ़ेगा। तभी वह अमेरिकी धरती से भारत को परमाणु हमले की धमकी दे सकते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि उन्होंने पाकिस्तान में सत्ता में आने का सपना भी देखना शुरू कर दिया है।
वह रूस को क्या संदेश दे रहे हैं?
पाकिस्तान और रूस की दोस्ती और मज़बूत होती जा रही है। अक्टूबर 2024 में, मास्को ने पाकिस्तान-रूस व्यापार और निवेश मंच के उद्घाटन की मेजबानी की, जिसमें 70 से अधिक पाकिस्तानी नेताओं के साथ-साथ 100 से अधिक रूसी कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। अक्टूबर 2024 में, रूसी प्रधानमंत्री और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ ने इस्लामाबाद में एससीओ बैठक के दौरान व्यापार, ऊर्जा और संपर्क में संबंधों को मज़बूत करने पर चर्चा की।

