Russia Offers India T-14 Armata Tank: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत और रूस की दोस्ती पर पॉपकॉर्न की तरह उछल रहे हैं। वह एक के बाद एक भारत को धमकियां दे रहे हैं। कभी रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर तो कभी रूसी हथियार खरीदने को लेकर। लेकिन भारत और रूस के बीच रक्षा साझेदारी अमेरिकी राष्ट्रपति का रक्तचाप और बढ़ा सकती है। रूस ने अगली पीढ़ी के टैंक के लिए भारत को टी-14 आर्मटा बेचने की पेशकश की है, ताकि भारत अपने पुराने टी-72 टैंकों को नए टैंकों से बदल सके। रूस की इस पेशकश में मेक इन इंडिया के तहत भारत में घरेलू निर्माण भी शामिल है। आर्मटा टैंक बनाने वाली रूसी कंपनी यूरालवगोनज़ावॉड ने भारत को अपने सबसे उन्नत टी-14 आर्मटा की पेशकश की है।
रूसी कंपनी ने दिखाई रूचि
रूसी कंपनी ने भारत के नेक्स्ट जेनरेशन बैटल टैंक (एनजीएमबीटी) कार्यक्रम की जरूरतों के हिसाब से इस टैंक को डिजाइन और विकसित करने की पेशकश की है। इसके लिए रूसी कंपनी ने भारतीय रक्षा कंपनियों के साथ साझेदारी करने में रुचि दिखाई है। इस प्रस्ताव में भारत के कॉम्बैट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (सीवीआरडीई) या अन्य रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के साथ संभावित सहयोग भी शामिल है। यह प्रस्ताव रणनीतिक रूप से भारत की “मेक-I” खरीद श्रेणी के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य भारत के स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देना है। इस योजना के तहत, भारत सरकार प्रोटोटाइप विकसित करने के लिए 70% तक धन मुहैया कराती है, जिससे घरेलू निर्माण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर ज़ोर दिया जाता है।
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घरेलू तकनीक का किया गया इस्तेमाल
रूसी कंपनी यूरालवगोनज़ावॉड ने भारत के साथ टी-90एस टैंकों के लिए एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता किया था, जिनका निर्माण अब भारत में टी-90 भीष्म के रूप में किया जाता है। भारत टी-90एस टैंक में 83 प्रतिशत से अधिक घरेलू तकनीक का उपयोग करता है, जिसमें टैंक के इंजन का पूर्ण स्थानीयकरण भी शामिल है। रूसी अधिकारियों ने टी-14 आर्मटा टैंक परियोजना के स्थानीय उत्पादन के लिए भारत के साथ काम करने की इच्छा भी व्यक्त की है। कंपनी के अधिकारियों ने सुझाव दिया है कि टी-14 आर्मटा भारतीय सेना के विशाल लेकिन पुराने हो रहे टी-72 टैंकों के बेड़े की जगह लेने के लिए एक आदर्श उत्तराधिकारी होगा।
सबसे उन्नत टैंकों में से एक है टी-14 आर्मटा
आपको जानकारी के लिए बता दें कि, टी-14 आर्मटा को दुनिया के सबसे उन्नत टैंकों में से एक माना जाता है। इसमें दूर से संचालित होने वाले कई कार्य, चालक दल के लिए बख्तरबंद कैप्सूल, अत्याधुनिक डिजिटल नियंत्रण प्रणाली और ‘अफगानिट’ नामक एक सक्रिय सुरक्षा प्रणाली (एपीएस) है। यह प्रणाली रास्ते में दुश्मन की टैंक रोधी मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम है। इन सभी खूबियों के कारण टी-14 भारत के लिए एक बेहतरीन विकल्प बन जाता है। खासकर ऐसे समय में जब टी-72 का बेड़ा अब तकनीकी रूप से पीछे है।
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टैंक के अंदर बैठ सख्त हैं तीन ऑपरेटर
इस टैंक के अंदर तीन ऑपरेटर बैठ सकते हैं, जिससे उनकी सुरक्षा काफी बढ़ जाती है। इसके अलावा यह टैंक दुश्मन की टैंक रोधी मिसाइलों और आरपीजी को हवा में ही नष्ट कर सकता है। इसमें मिलीमीटर वेव रडार लगा है, जो 360 डिग्री सुरक्षा देता है। इस टैंक से गाइडेड मिसाइल भी दागी जा सकती हैं, जिनकी रेंज लगभग 8-10 किलोमीटर हो सकती है। इस टैंक की अधिकतम गति 75 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा है और इसकी रेंज 500 किलोमीटर है यदि इसका निर्माण भारत में किया जाए तो इसकी लागत कम से कम 10 करोड़ रुपये कम हो जाएगी।

