PoK Protests: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन शायद उन्हें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए जहां कई समस्याएं हैं जो उनके और उनके प्रशासन के लिए मुसीबत बन सकती हैं. बता दें कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में सरकार और स्थानीय नागरिकों के बीच विवाद हड़ताल में बदल गया है. स्थानीय पब्लिक एक्शन कमेटी ने 29 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है जिसकाअसर सोमवार सुबह से ही दिखाई दे रहा है. पूरे पीओके में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. सड़कों पर सैन्य बल तैनात किए गए हैं. बंद के कारण स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए हैं.
सरकार के सामने रखी ये मांग
बीबीसी उर्दू के अनुसार पब्लिक एक्शन कमेटी ने 25 सितंबर को सरकार के साथ बैठक की. इस बैठक में, समिति ने सरकार को अपनी मांगों से अवगत कराया. समिति ने मांग की कि पीओके में स्थानीय सरकार की शक्तियां कम की जाएं और वीआईपी व्यवस्था समाप्त की जाए.
क्या है विरोध प्रदर्शन की वजह ?
यह आंदोलन आटे की कीमतों को लेकर शुरू हुआ था, जो धीरे-धीरे विद्रोह में बदल गया. स्थानीय मीडिया के अनुसार, कश्मीर संयुक्त नागरिक समिति ने सरकार को 38 मांगों की एक सूची सौंपी. इनमें प्रवासियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटों को समाप्त करना, पीओके प्रशासन में प्रमुख हस्तियों को भत्ते देना और वीआईपी संस्कृति का अंत शामिल है.
प्रदर्शनकारियों की एक मांग जलविद्युत परियोजना से संबंधित है. उनका दावा है कि सरकार परियोजना के लिए रॉयल्टी का भुगतान नहीं करती है, जो गलत है. वे तत्काल प्रतिपूर्ति की मांग कर रहे हैं. हालांकि, सरकार ने इन मांगों को पूरा करने में असमर्थता व्यक्त की है.
शौकत अली मीर कर रहे हैं विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व शौकत अली मीर कर रहे हैं. हाल ही में दिए गए एक भाषण में, मीर ने भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को प्रमुख मुद्दे बताया. मीर ने कहा कि पाकिस्तानी सरकार ने पीओके के लोगों को दलदल में धकेल दिया है और अब इससे बाहर निकलने का समय आ गया है.
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इस्लामाबाद से 3,000 सैनिक भेजे गए
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए, पाकिस्तानी सरकार ने इस्लामाबाद से पीओके की राजधानी मुज़फ़्फ़राबाद में 3,000 सैनिकों को तैनात किया है. दरअसल, पीओके में तैनात स्थानीय सैनिक पहले से ही सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. ये सैनिक समान वेतन और भत्ते की मांग कर रहे हैं. इसे ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद से 3 हजार सैनिक भेजे हैं.