Nepal Violent protests: नेपाल से दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। जहां सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध के विरोध में हज़ारों Gen-Z युवाओं ने राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान आगजनी और तोड़फोड़ हुई। सैकड़ों युवा नेपाल की संसद में घुस गए। उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले और पानी की बौछारें छोड़ीं। पुलिस की गोलीबारी में 9 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई, 100 से ज़्यादा घायल हैं।
कई इलाकों में कर्फ्यू
वहीं नेपाल सरकार ने काठमांडू के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवासों के आसपास सेना तैनात कर दी गई है, ताकि प्रदर्शनकारी उनके आवासों में न घुस सकें। संसद भवन के पास 10 से 15 हज़ार प्रदर्शनकारी मौजूद हैं। केंद्रीय सचिवालय के पास भी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी मौजूद हैं। काठमांडू के मुख्य ज़िला अधिकारी ने बताया कि अगर हालात बिगड़ते हैं, तो सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा के लिए सुरक्षा बलों को रबर की गोलियां चलाने की अनुमति दी गई है।
बुलाई आपात बैठक
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने युवाओं के एक प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए बुलाया है। ओली कैबिनेट ने आज शाम 6 बजे एक आपात कैबिनेट बैठक बुलाई है। इसमें कोई निर्णायक फैसला लिया जा सकता है। हिंसा के बाद सरकार पर फैसला वापस लेने का दबाव है। नेपाल सरकार के खेल मंत्री संतोष पांडे ने कहा कि सरकार युवाओं की मांगों पर विचार करेगी।
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क्या है मामला ?
प्रदर्शनकारी बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। विराटनगर, भरतपुर और पोखरा में भी विरोध प्रदर्शन हुए। प्रधानमंत्री केपी ओली की सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप, रेडिट और एक्स जैसे 26 सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था। युवाओं का कहना है कि प्रतिबंध से पढ़ाई और कारोबार प्रभावित होगा।
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इस तरह शुरू हुआ प्रर्दशन
सरकार ने TikTok पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, इसलिए लोगों ने इस प्लेटफ़ॉर्म पर वीडियो अपलोड करके विरोध शुरू कर दिया। नेताओं के बच्चों की विलासिता और आम लोगों की बेरोज़गारी की तुलना की गई। #RestoreOurInternet जैसे कई वीडियो और हैशटैग वायरल हुए।
जनरेशन-ज़ी ने स्कूल यूनिफ़ॉर्म पहनकर विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया, ताकि यह दिख सके कि यह युवाओं का आंदोलन है। 28 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की इजाज़त नहीं थी। उन्होंने सोशल मीडिया शुरू करने, भ्रष्टाचार रोकने, रोज़गार और इंटरनेट की सुविधा देने की मांग की।