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आप जानते हैं क्या? प्रेमानंद महाराज के अनुसार प्रसाद और लंगर में छुपा है जीवन बदलने वाला संदेश

Preemanand Maharaj Updesh: प्रेमानंद महाराज के अनुसार भगवान के नाम का प्रसाद और लंगर का क्या अर्थ है। और ऐसा करने से कैसे आपके जीवन में खुशहाली आती है जानते हैं। स्वास्थ्य और समाजिक एकता पर भी प्रभाव पड़ता है।

By: Shraddha Pandey | Published: August 19, 2025 10:54:39 AM IST



भारत में धार्मिक परंपराओं में भगवान के नाम का प्रसाद चढ़ाना और लंगर लगाना सदियों से प्रचलित है। यह केवल आध्यात्मिक कृत्य नहीं है, बल्कि समाज में भाईचारे, सेवा और सामूहिक सौहार्द का भी प्रतीक भी है।

आध्यात्मिक लाभ:

आध्यात्मिक गुरु प्रेमानंद महाराज का कहना है कि भगवान के नाम का प्रसाद ग्रहण करने से व्यक्ति के मन में शांति और संतुलन आता है। यह केवल शरीर के लिए नहीं, बल्कि आत्मा के पोषण का साधन भी है। महाराज के अनुसार, प्रसाद को श्रद्धा और भक्ति के साथ ग्रहण करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

सामाजिक एकता और सेवा भावना:

लंगर की परंपरा, विशेष रूप से गुरुद्वारों और मंदिरों में, समाज के हर वर्ग के लोगों को समान रूप से भोजन देने का संदेश देती है। प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि लंगर सेवा की भावना को बढ़ावा देती है और समाज में भाईचारे व समानता का अनुभव कराती है। स्वयं सेवक भोजन परोसते और दूसरों की मदद करते हैं, जिससे समाज में सहयोग और एकता की भावना मजबूत होती है।

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स्वास्थ्य और पोषण:

महाराज का कहना है कि लंगर में परोसा गया भोजन सरल, ताजगीपूर्ण और पौष्टिक होता है। यह शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है और स्वास्थ्य में सुधार करता है। साथ ही, प्रसाद और लंगर ग्रहण करने से मन में संतोष और कृतज्ञता की भावना विकसित होती है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

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