Dhanu Sankranti 2025: भगवान सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तो धनु संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. धनु संक्रांति का पर्व हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण होता है. भगवान सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही खरमास की शुरुआत हो जाती है. इसे मलमास भी कहते हैं. वहीं धनु संक्रांति के दिन सूर्य देव का पूजन किया जाता है. इस दिन स्नान-दान करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. धनु संक्रांति के दिन स्नान-दान और पूजा-पाठ के कई उपाय भी किए जाते हैं. इन उपायों को करने से सूर्य मजबूत होता है. धनु संक्रांति का दिन सूर्य देव और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने का एक अचूक अवसर माना जाता है.
धनु संक्रांति कब है? (Dhanu Sankranti 2025 Kab Hai)
इस समय सूर्य देव वृश्चिक राशि में गोचर कर रहे हैं. भगवान सूर्य 16 दिसंबर 2025, मंगलवार के दिन सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर वृश्चिक राशि से निकलेंगे और धनु राशि में प्रवेश कर जाएंगे और ये 14 जनवरी 2025 तक सूर्य राशि में गोचर करेंगे. फिर 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसलिए मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा.
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धनु संक्रांति के उपाय (Dhanu Sankranti Ke Upay)
- धनु संक्रांति के दिन प्रातःकाल सूर्योदय के समय तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, गुड़ के कुछ कण और लाल चंदन मिलाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. ऐसा करने से पितृ संबंधी बाधाएं कम होती हैं.
- धनु संक्रांति के दिन पितरों की शांति के लिए जल में काला तिल, कुश थोड़ा सा और दूध मिलाकर तर्पण करना चाहिए. पितरों का नाम स्मरण करते हुए ‘ॐ पितृदेवताभ्यो नमः’ का जप करना चाहिए. ऐसा करने से पितृ दोष शांत होता है.
- धनु संक्रांति के दिन दान करना विशेष फलदायी माना जाता है. इस दिन गुड़, तिल, चावल, कंबल, घी, या पीले वस्त्र का दान करना चाहिए. शाम को तुलसी या मंदिर में दीपदान करना चाहिए.