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किन 2 देशों को जोड़ता हैं Death Railway? 415 KM की लाइन बिछाने में गई लाखों की जान

Death Railway Thailand: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने अपने सैनिकों तक जरूरी सामान पहुंचाने के लिए एक ऐसे रेलवे ट्रैक का निर्माण करवाया. जिसमें करीब 1 लाख 25 हजार लोगों की मौत हो गई थी.

By: Sohail Rahman | Published: October 20, 2025 7:47:12 PM IST



Death Railway: सड़क, पल या रेलमार्ग के निर्माण के दौरान कई दुर्घटनाएं हो ही जाती है. कई बार दुर्घटनाओं में कई लोगों की मौत भी हो जाती है. हालांकि, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान थाईलैंड और बर्मा (अब म्यांमार) के बीच एक रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान इतने लोगों की मौत हुई कि आप अगर आज भी उसके बारे में सुनेंगे तो आपकी रूहें कांप उठेंगी. दरअसल, थाईलैंड-बर्मा लिंक रेलवे परियोजना को पूरा करते हुए लगभग 1,25,000 लोगों की जान चली गई थी. जानकारी के अनुसार, इस रेल लाइन की कुल लंबाई 415 किलोमीटर थी. यानी एक किलोमीटर ट्रैक बिछाने में 290 लोगों की जान गई. इसीलिए इसे ‘डेथ रेलवे’ के नाम से बजी जाना जाता है और अगर वर्तमान समय की बात करें तो आज भी यह ट्रैक इसी नाम से जाना जाता है.

डेथ रेलवे का एक हिस्सा आज भी चालू

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डेथ रेलवे का एक हिस्सा आज भी चालू है. इस रेलवे लाइन का निर्माण जापान ने किया था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान थाईलैंड और बर्मा पर कब्जा करने के बाद जापान ने अपनी सेना को रसद पहुंचाने के लिए इसका निर्माण करवाया था. समुद्र के रास्ते थाईलैंड और बर्मा तक जरूरी सामान पहुंचाना बेहद खतरनाक था, जिसके लिए जहाजों को 3,200 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती थी. इसी वजह से बैंकॉक, थाईलैंड से रंगून, बर्मा तक एक रेलवे लाइन बनाने का फैसला लिया गया.

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कब पूरा हुआ इसका निर्माण?

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान ने सिंगापुर से बर्मा तक के क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था. उसे बर्मा को थाईलैंड और सिंगापुर से जोड़ने के लिए एक सुरक्षित मार्ग की आवश्यकता थी, जिससे वह हिंद महासागर तक आसानी से पहुंच सके. इसलिए उसने थाईलैंड के नोंग प्लाडुक से बर्मा के थानब्यूज़ात तक एक रेलवे लाइन बिछाने का फैसला किया. 415 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन का निर्माण 16 सितंबर, 1942 को दोनों छोर पर शुरू हुआ. यह 17 अक्टूबर, 1943 को पूरी हुई. इस लाइन का 111 किलोमीटर हिस्सा बर्मा में और शेष 304 किलोमीटर थाईलैंड में था.

60,000 युद्ध बंदियों को भी काम पर लगाया गया

जापान इस रेलवे लाइन को जल्द से जल्द पूरा करना चाहता था. हालांकि, इस मार्ग में खतरनाक जंगल, पहाड़ी इलाके और असंख्य नदियां और नाले थे. फिर भी जापान इसे हर कीमत पर पूरा करने के लिए दृढ़ था. इसलिए थाईलैंड, चीन, इंडोनेशिया, बर्मा, मलेशिया और सिंगापुर सहित कई एशियाई देशों के लगभग 180,000 लोगों को रेलवे ट्रैक बनाने के लिए नियुक्त किया गया था. बर्मा रेलवे लाइन के निर्माण में मित्र देशों के 60,000 युद्धबंदियों (POW) को भी लगाया गया था.

कितने मजदूरों की गई जान?

रेलवे ट्रैक बनाने में लगे मज़दूरों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया गया. जापानी सेना ने उनसे दिन-रात काम करवाया. उनके साथ क्रूर व्यवहार किया गया. हैजा, मलेरिया, पेचिश, भुखमरी और थकावट ने 16,000 कैदियों में से हजारों की जान ले ली. जापान के दुश्मनों ने रेलवे लाइन के निर्माण को बाधित करने के लिए कई हमले किए, जिसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए. कुल मिलाकर आधे मज़दूर यानी 1,20,000, मारे गए. 

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