मनीष मेहता की रिपोर्ट, RIMS-2 Jharkhand News: रांची के कांके अंचल अंतर्गत मौजा नगड़ी में प्रस्तावित रिम्स-2 परियोजना को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एक ओर जहां जिला प्रशासन ने पूरे इलाके की फेंसिंग और सीमांकन कार्य पूरा कर लिया है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय किसान और आदिवासी संगठन इस परियोजना के विरोध में हल-चलाई आंदोलन करने की घोषणा कर चुके हैं। आंदोलन को और तेज करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन भी इसमें शामिल होंगे।
प्रशासन का आदेश – 200 मीटर परिधि में निषेधाज्ञा
विवाद की आशंका को देखते हुए रांची सदर अनुमंडल दंडाधिकारी ने बीएनएसएस की धारा-163 के तहत आदेश जारी कर दिया है। इसके तहत नगड़ी मौजा में रिस्स-2 स्थल के चारों ओर 200 मीटर की परिधि में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है।
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आदेश के मुताबिक –
- पाँच या पाँच से अधिक लोगों का एकत्र होना प्रतिबंधित रहेगा (सरकारी कार्य व शवयात्रा को छोड़कर)
- ध्वनि विस्तारक यंत्र के इस्तेमाल पर रोक।
- अस्त्र-शस्त्र या हरवे हथियार लेकर चलने की मनाही।
- किसी भी प्रकार की बैठक, सभा या प्रदर्शन निषिद्ध।
किसान संगठनों ने दी चुनौती
प्रशासन की इस सख्ती के बावजूद कई आदिवासी और किसान संगठन आंदोलन में शामिल होने का ऐलान कर चुके हैं। संगठनों का कहना है कि यह संघर्ष किसान और आदिवासी हितों से जुड़ा हुआ है, इसलिए पीछे हटना संभव नहीं है। आदिवासी सेंगेल अभियान, झारखंडी छात्र-युवा मोर्चा, आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच, रांची खुटखुटी समूह सहित कई संगठनों ने समर्थन का ऐलान किया है।
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टकराव की आशंका
प्रशासन ने नगड़ी मोड़, सिरो रोड और आसपास के इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। वहीं, संगठनों का कहना है कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण होगा, लेकिन यदि उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की गई तो आंदोलन और व्यापक हो जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन का इस आंदोलन में शामिल होना, इसे राजनीतिक रंग भी दे सकता है। अब देखना होगा कि प्रशासन की सख्ती और संगठनों की जिद के बीच नगड़ी में हालात किस दिशा में जाते हैं।