अविनाश तिवारी की रिपोर्ट, Uttar Pradesh: चंदौली में आयोजित आदिवासी सम्मेलन के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल के विवादित बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर अमर्यादित टिप्पणी करते हुए कहा कि पीडीए वर्ग से होने के बावजूद वे अपने समाज की बेहतरी के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही हैं। पाल ने आरोप लगाया कि संवैधानिक पद पर रहते हुए भी राष्ट्रपति आदिवासी समाज की मदद करने में नाकाम साबित हुई हैं और “इससे बड़ी नालायकी कोई हो ही नहीं सकती।”
वोटचोरी पर तीखी बयान
इसके साथ ही, विपक्षी दलों द्वारा लगाए जा रहे वोट चोरी के आरोपों पर भी श्याम लाल पाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी इसका जवाब “वोटों की बमबारी” से देगी। उनके मुताबिक, अखिलेश यादव का “जादुई शब्द डायनामाइट” है, जो चुनाव में विस्फोट करेगा और जो वोट चोरी करेगा, उसे धोखा मिलेगा। उन्होंने दावा किया कि पूंजीवादी और सामंती ताकतें इस वोट बमबारी को सहन नहीं कर पाएंगी। चंदौली में विधानसभा की 24 घंटे चलने वाली कार्रवाई पर भी उन्होंने सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि सरकार दिन में सदन चलाने की हिम्मत नहीं रखती, जब जनता जाग रही होती है, तब सदन नहीं चलता, लेकिन रात में उसे इसलिए चलाया जाता है ताकि जनता उसे सुन न सके। उनके मुताबिक, यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ छल है।
एसआईआर क्या बोले?
भविष्य की राजनीतिक संभावनाओं पर बात करते हुए श्याम लाल पाल ने दावा किया कि 2027 के विधानसभा चुनाव में सपा 2024 से बेहतर प्रदर्शन करेगी और 350 सीटें जीतकर सरकार बनाएगी। उन्होंने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे SIR वोटर वैरीफिकेशन अभियान को अन्य राज्यों में लागू करने की आवश्यकता पर भी टिप्पणी की, लेकिन साथ ही कहा कि भाजपा का “बिहार और गुजरात मॉडल” फेल हो चुका है और देश को अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री कार्यकाल वाला “उत्तर प्रदेश मॉडल” चाहिए।इस पूरे घटनाक्रम ने सियासी माहौल को गरमा दिया है, जहां सपा के बयानों पर भाजपा और अन्य दलों की प्रतिक्रिया आने की संभावना है। श्याम लाल पाल का यह बयान न केवल आदिवासी समाज, बल्कि संवैधानिक पदों की गरिमा को लेकर भी बहस का विषय बन गया है।