Home > देश > Mohan Bhagwat: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दिया ‘एकता मंत्र’, धर्मांतरण को लेकर कही ये बड़ी बात!

Mohan Bhagwat: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने दिया ‘एकता मंत्र’, धर्मांतरण को लेकर कही ये बड़ी बात!

RSS 100 Years: मोहन भागवत ने कहा, 'हमारे हिंदुस्तान का उद्देश्य विश्व कल्याण है। सब अलग-अलग दिखते हैं, पर सब एक हैं। दुनिया आत्मीयता से चलती है, सौदेबाज़ी से नहीं चल सकती। धर्म की रक्षा से ही दुनिया सुचारू रूप से चलती है। दूसरे धर्मों की बुराई करना धर्म नहीं है, जहाँ धर्म नहीं, वहाँ धर्म नहीं।

By: Ashish Rai | Published: August 27, 2025 9:00:51 PM IST



Mohan Bhagwat on RSS 100 years: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ को लेकर बहुत चर्चाएँ होती हैं। देखा गया है कि संघ के बारे में लोगों के पास जानकारी कम है, जो जानकारी मौजूद है वह कम प्रामाणिक है। इसलिए, अपनी ओर से संघ के बारे में सच्ची और सटीक जानकारी देनी चाहिए। संघ पर जो भी चर्चा हो, वह धारणा पर नहीं, बल्कि तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए। धर्मांतरण के संबंध में आरएसएस प्रमुख ने कहा कि धर्म सर्वत्र जाना चाहिए, इसके लिए धर्मांतरण आवश्यक नहीं है।

आरएसएस के शताब्दी वर्ष पर पूरे होने पर व्याख्यानमाला के दूसरे दिन सरसंघचालक आरएसएस प्रमुख ने कहा कि शुद्ध सात्विक प्रेम ही संघ है। वर्ष 1925 की विजयादशमी के बाद डॉक्टर साहब ने घोषणा की कि आज हम इस संघ की शुरुआत करेंगे। उन्होंने कहा कि यह संपूर्ण हिंदू समाज का संगठन है। पहली बात तो यह है कि जिन्हें हम हिंदू समाज कहते हैं और जिन्हें हिंदू नाम का उपयोग करना है, उन्हें देश के प्रति उत्तरदायी होना होगा।

ओछी बात करना… लड़कियों से संबंधित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर कथावाचक अनिरुद्धाचार्य को यह क्या बोल गए बाबा रामदेव!

किसी भी अन्य एनजीओ को आरएसएस जितना विरोध नहीं झेलना पड़ा: मोहन भागवत

उन्होंने कहा कि किसी भी अन्य एनजीओ को आरएसएस जितना विरोध नहीं झेलना पड़ा। अगर आरएसएस के मूल आधार की बात करें, तो शुद्ध सात्विक प्रेम ही आरएसएस है। आरएसएस के शुरूआती प्रचारकों में से एक दादाराव परमार्थ जी ने आरएसएस को एक पंक्ति में समझाया था – ‘आरएसएस हिंदू राष्ट्र के जीवन मिशन का विकास है। यहाँ कोई प्रलोभन नहीं है, बल्कि आरएसएस के स्वयंसेवक अपना काम इस आधार पर करते हैं क्योंकि उन्हें अपने काम में खूब आनंद आता है। इससे उन्हें इस बात की भी प्रेरणा मिलती है कि उनका काम विश्व कल्याण के लिए समर्पित है।’

सब अलग-अलग दिखते हैं, पर सब एक हैं: मोहन भागवत

मोहन भागवत ने कहा, ‘हमारे हिंदुस्तान का उद्देश्य विश्व कल्याण है। सब अलग-अलग दिखते हैं, पर सब एक हैं। दुनिया आत्मीयता से चलती है, सौदेबाज़ी से नहीं चल सकती। धर्म की रक्षा से ही दुनिया सुचारू रूप से चलती है। दूसरे धर्मों की बुराई करना धर्म नहीं है, जहाँ धर्म नहीं, वहाँ धर्म नहीं। धर्म एक संतुलन है, एक मध्यम मार्ग है। आज पूरी दुनिया में अशांति और धार्मिक कट्टरता हर दिन बढ़ रही है। हालाँकि, अब विरोध बहुत कम हो गया है।’ स्वयंसेवक सोचता है कि अगर उसे अनुकूल परिस्थितियाँ मिली हैं, तो उसे सुख-सुविधाओं का मोह नहीं करना चाहिए। संघ में प्रोत्साहन नहीं, बल्कि हतोत्साहित करने वाली भावनाएँ बहुत हैं। अगर कोई मुझसे पूछे कि संघ में शामिल होने से उसे क्या मिलेगा, तो मैं कहूँगा कि उसे कुछ नहीं मिलेगा और जो कुछ है वह भी चला जाएगा।

अमीर-गरीब के बीच की खाई बढ़ रही है: मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘दुनिया में अशांति और कलह है, कट्टरता बढ़ी है। वोकिज्म जैसे शब्द दुनिया के लिए एक बड़ा संकट हैं। धर्म का मतलब धर्म नहीं है। धर्म में विविधता स्वीकार्य है। आज का विश्व संबंधों के लिए तरस रहा है, लेकिन जिस देश में संबंधों को सबसे ज़्यादा महत्व दिया जाता है, वह भारत है।’ उन्होंने कहा कि आर्थिक प्रगति के कारण अमीरी-गरीबी के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। इसे दूर करने के लिए विचार-विमर्श तो होते हैं, लेकिन ज़्यादा परिणाम नहीं मिलते। धर्म सर्वत्र पहुँचना चाहिए, इसके लिए धर्मांतरण की कोई ज़रूरत नहीं है।’

समाज के सभी स्तरों के लोगों को जोड़ना होगा: मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘भारत ने हमेशा अपने नुकसान की परवाह न करते हुए, उसे नुकसान पहुँचाने वालों की मदद की है। आज दुनिया हमारी विश्वसनीयता को स्वीकार करती है। समाज हमारी बात सुनता है। अब अगला कदम क्या है, जो हम संघ में कर रहे हैं, वही पूरे समाज में होना चाहिए और वह है चरित्र निर्माण, देशभक्ति का जागरण। भारत में जितनी बुराई दिखाई देती है, उससे 40 गुना ज़्यादा अच्छाई समाज में है।’

हमें समाज के कोने-कोने तक पहुंचना होगा: मोहन भागवत

उन्होंने कहा, ‘हमें समाज के हर कोने तक पहुँचना होगा, हमें अपने कार्य का विस्तार करना होगा ताकि कोई भी व्यक्ति छूट न जाए। हमें समाज के सभी वर्गों और सभी स्तरों तक पहुँचना होगा। संघ को सबसे गरीब से लेकर सबसे अमीर तक पहुँचना होगा। यह जल्द से जल्द किया जाना चाहिए। ताकि सभी मिलकर सामाजिक परिवर्तन के लिए काम करना शुरू करें।’

हमारे बीच की दूरियों को पाटने के प्रयास ज़रूरी: आरएसएस प्रमुख

उन्होंने कहा, ‘आक्रमण के कारण विचारधाराएँ बाहर से भी आईं, यहाँ के लोगों ने उन्हें स्वीकार किया। लेकिन हमारा दृष्टिकोण सभी को स्वीकार करने का है। जो दूरियाँ पैदा हुई हैं, उन्हें पाटने के लिए दोनों पक्षों की ओर से प्रयास ज़रूरी हैं। सद्भावना और सकारात्मकता के लिए यह बहुत ज़रूरी है। देश को राष्ट्रीय स्तर पर यह करना होगा। सबसे पहले, हमें समाज को पड़ोसी देशों से जोड़ने पर काम करना होगा। ज़्यादातर पड़ोसी देश भारत ही थे। लोग एक जैसे हैं। हमें जो विरासत मिली है, उससे सभी का विकास होना चाहिए। पंथ और धर्म अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन समाज को एकजुट रखना होगा।’

100 Years of Sangh Yatra: व्यापार स्वेच्छा से होना चाहिए, दबाव में नहीं… संघ के शताब्दी समारोह में मोहन भागवत ने कही बड़ी बात

Advertisement