Nirmala Sitharaman: बुधवार, 3 सितम्बर को लगभग 391 उत्पादों के टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया। इस बदलाव के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार हमेशा महंगाई पर काबू पाने के प्रयास करती है। इस नवरात्रि के पहले दिन से कम दरों के कारण जनता ज़्यादा सामान खरीद सकेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 3 सितंबर को यह भी स्पष्ट किया कि अब 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत के केवल दो जीएसटी स्लैब होंगे, जबकि हानिकारक और अति-विलासिता वाले सामानों पर 40 प्रतिशत का विशेष कर लगाया जाएगा।
GST स्लैब में किए गए सुधारों के बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, “ये सुधार आम आदमी को ध्यान में रखकर किए गए हैं। आम आदमी के दैनिक उपयोग पर लगने वाले हर कर की समीक्षा की गई है और ज़्यादातर मामलों में दरों में भारी कमी की गई है। इससे किसानों और कृषि क्षेत्र के साथ-साथ स्वास्थ्य क्षेत्र को भी लाभ होगा।”
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पेट्रोल और डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाने पर वित्त मंत्री का जवाब
आजतक के एक कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यानी शुक्रवार को कहा कि 300 से ज़्यादा वस्तुओं और सेवाओं की दरें कम होने जा रही हैं। उन्होंने पेट्रोल और डीज़ल को जीएसटी के दायरे में लाने के बारे में जानकारी देते हुए कहा, “जीएसटी के इस प्रस्ताव में पेट्रोल और डीज़ल शामिल नहीं थे। जीएसटी लागू करते समय हमने यह कानूनी प्रावधान किया था कि अगर राज्य दरों पर सहमत हो जाएँ, तो पेट्रोल और डीज़ल को भी जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है।
आपको बताते चलें कि पेट्रोल और डीज़ल पर केंद्र और राज्य सरकारें टैक्स लगाती हैं। हर राज्य इस पर अलग-अलग टैक्स लगाता है, क्योंकि राज्य अलग-अलग बिक्री कर या वैट की राशि लगाते हैं। अगर ये जीएसटी के दायरे में आ जाते हैं, तो राज्यों का अपने कर ढांचे पर नियंत्रण खत्म हो जाएगा। आपको ये भी बताते चलें कि अगर पेट्रोल और डीज़ल को जीएसटी के अधिकतम 40 प्रतिशत स्लैब में भी लाया जाता है, तब पर भी इसकी कीमतें मौजूदा दर की तुलना में कम हो जाएगा।
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