गोरखपुर से अभिषेक सिंह की रिपोर्ट
Gorakhpur Dogs: दिल्ली के बाद अब गोरखपुर में भी आवारा कुत्तों का आतंक तेजी से बढ़ता जा रहा है। शहर के जिला चिकित्सालय में रोजाना 80 से 100 नए मरीज पहुंच रहे हैं, जिन्हें आवारा कुत्तों ने काट लिया है। हालात इतने खराब हैं कि अस्पताल में इंजेक्शन के लिए लंबी कतारें लग रही हैं और लोगों में दहशत का माहौल है।
गोरखपुर निवासी अधिवक्ता राजेश्वर पाठक ने बताया कि वह सुबह मोटरसाइकिल से जा रहे थे। जैसे ही उन्होंने बाइक खड़ी की, एक कुत्ता आया और उन्हें काट लिया। उन्होंने कहा, “शहर में इतने कुत्ते हो गए हैं कि गिनती मुश्किल है। हर गली, हर मोहल्ले में झुंड के झुंड कुत्ते घूम रहे हैं। नगर निगम कोई कार्रवाई नहीं कर रहा। करोड़ों का बजट होते हुए भी आवारा कुत्तों को पकड़ने की व्यवस्था नहीं है।”
इसी तरह आनंद ने बताया कि उनके मोहल्ले में जगह-जगह कुत्ते बैठे रहते हैं और बच्चों को स्कूल छोड़ने में डर लगता है। उन्होंने मांग की कि जल्द से जल्द आवारा कुत्तों पर लगाम लगाई जाए।
लक्ष्मी गुप्ता, जो बरगदवा से जिला अस्पताल पहुंची थीं, ने कहा, “मुझे कुत्ते ने तब काट लिया जब मैं घर के बाहर खड़ी थी। यहां हर घर के पास 10 से 15 कुत्ते हैं। अगर इन्हें नहीं पकड़ा गया तो हालात और बिगड़ जाएंगे।”
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चकित्सक से बातचीत के अंश
डॉ. नम्रता, जिला चिकित्सालय गोरखपुर ने बताया कि पहले आवारा कुत्तों के काटने के मामले मुख्य रूप से ब्रीडिंग सीजन में ज्यादा आते थे, लेकिन अब पूरे साल लगभग एक जैसा आंकड़ा देखने को मिलता है। उन्होंने कहा, “रोजाना 80 से 100 नए मरीज आते हैं। आवारा कुत्तों की संख्या काफी बढ़ गई है और लोग पालतू कुत्ते पालकर भी उनका वैक्सीनेशन समय पर नहीं कराते, जिससे खतरा और बढ़ जाता है।”
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम की लापरवाही के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो रही है। मोहल्लों में खुले में कूड़े के ढेर और गंदगी के कारण कुत्तों को भरपूर खाना मिल रहा है, जिससे उनकी संख्या तेजी से बढ़ रही है।
स्थानीय लोगों कि मांग
लोगों की मांग है कि शहर में बड़े पैमाने पर डॉग कैचिंग ड्राइव चलाई जाए, कुत्तों का वैक्सीनेशन हो और उन्हें सुरक्षित आश्रय स्थलों में रखा जाए। साथ ही, पालतू कुत्तों के मालिकों पर वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र न होने पर जुर्माना लगाया जाए, ताकि इस समस्या पर काबू पाया जा सके। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो गोरखपुर में आवारा कुत्तों का आतंक और बढ़ेगा, जिससे बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।