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भारत में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को लेकर क्या कानून है, दूसरी जगह मुंह मारने पर पति या पत्नी को सजा मिलेगी?

Extramarital Affair Law India: भारत में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को अब अपराध नहीं माना जाता है. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद ये सब बदल गया है.

By: Sohail Rahman | Published: September 24, 2025 10:53:37 AM IST



Extramarital Affair Punishment: भारत में शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है और देश में हर धर्म में पति-पत्नी के रिश्ते को अटूट माना जाता है. लेकिन आज के आधुनिक युग में शादीशुदा होने के बावजूद भी महिला और पुरुष अवैध संबंध में संलिप्त नजर आ रहे हैं. आपने पिछले कुछ महीनों में ऐसी कई खबरें देखीं होंगी जिसमें अवैध संबंधों के चक्कर में कई लोगों की हत्या की खबरें सुनी होंगी. सौरभ राजपूत (Saurabh Rajput Murder Case) और राजा रघुवंशी ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां पत्नियों ने अवैध संबंध में पति की हत्या कर दी. ऐसे में आइये जानते हैं, इसको लेकर कानून क्या कहता है?

ऐसे मामलों में कानूनी स्थिति क्या है? (extramarital affair law india)

सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में प्रेम-संबंधों के मुद्दे पर एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसने इस विषय पर कानूनी परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया. 2018 के जोसेफ शाइन बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 497 को असंवेधानिक घोषित कर दिया था. इससे पहले एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर को अपराध माना जाता था और दोषी को सजा हो सकती थी. लेकिन इस फैसले के बाद एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर अब अपराध नहीं है. इसका मतलब है कि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में शामिल पति-पत्नी की गिरफ्तारी या जेल नहीं होगी.

नागरिक कानून के तहत क्या परिणाम होते हैं? (What are the consequences under civil law?)

हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर (Extramarital Affairs) के कोई कानूनी परिणाम नहीं होते. भारत में इसे तलाक का एक वैध आधार माना जाता है. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1)(i) के तहत अगर पति या पत्नी का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर चलता है तो इसके आधार पर पति या पत्नी तलाक के लिए आवेदन कर सकते हैं.

क्षतिपूर्ति और भरण-पोषण (Compensation and maintenance)

दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि अगर किसी को एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर से नुकसान होता है तो वह कोर्ट में क्षतिपूर्ति मांग सकता है. इसका मतलब है कि अगर एक साथी को दूसरे के प्रेम-संबंध से मानसिक या सामाजिक नुकसान होता है, तो वह वित्तीय क्षतिपूर्ति का दावा कर सकता है. इसके अलावा, भले ही पत्नी आर्थिक रूप से कमजोर हो, अगर पति साबित कर देता है कि पत्नी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में है, तो कोर्ट उसे भरण-पोषण देने से मना कर सकता है. इसी तरह, अगर पत्नी साबित कर देती है कि पति का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर है, तो यह भी तलाक और भरण-पोषण का आधार हो सकता है.

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