Home > देश > तेजस्वी बनाम तेज प्रताप: बिहार की सियासत में होने वाला है ‘महायुद्ध’,तेज प्रताप का वार तेजस्वी पर पड़ेगा भारी? कौन बनेगा ‘राजनीति का युवराज’?

तेजस्वी बनाम तेज प्रताप: बिहार की सियासत में होने वाला है ‘महायुद्ध’,तेज प्रताप का वार तेजस्वी पर पड़ेगा भारी? कौन बनेगा ‘राजनीति का युवराज’?

Bihar News: बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव आमने-सामने हैं। पार्टी से निष्कासित तेज प्रताप ने नए गठबंधन से तेजस्वी को दी खुली चुनौती। जानें, किसका पलड़ा होगा भारी और इस टकराव से किसे मिलेगा फायदा।

By: Shivani Singh | Published: August 7, 2025 10:16:13 PM IST



Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, राज्य की राजनीति में घमासान और गहराता जा रहा है। इस बार मुकाबला न सिर्फ एनडीए और महागठबंधन के बीच है, बल्कि एक नई सियासी लड़ाई तेजस्वी यादव और उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव के बीच भी देखने को मिल रही है।

तेज प्रताप यादव, जो कभी लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी और आरजेडी के वरिष्ठ नेता माने जाते थे, अब खुद को पार्टी और परिवार दोनों से अलग पा रहे हैं। एक महिला से जुड़े विवाद और सोशल मीडिया पर विवादित पोस्ट के बाद 25 मई को आरजेडी ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। इसके बाद तेज प्रताप ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि उनका अकाउंट हैक हो गया था, लेकिन तब तक सियासी तूफान उठ चुका था।

Trump tariff: जो विपक्ष नहीं कर पाया, इस मौलाना ने कर दिखाया…भारत पर ट्रंप ने फोड़ा टैरिफ बम तो PM मोदी की प्रतिक्रिया पर कह…

तेज प्रताप का नया गठबंधन: आरजेडी को खुली चुनौती

आरजेडी से निष्कासन के बाद तेज प्रताप ने बिहार की राजनीति में अपनी नई पहचान बनाने के लिए भोजपुरिया जन मोर्चा, विकास वंचित इंसान पार्टी, संयुक्त किसान विकास पार्टी, प्रगतिशील जनता पार्टी और वाजिब अधिकार पार्टी के साथ मिलकर एक नया गठबंधन बना लिया है। उन्होंने अपने पुराने निर्वाचन क्षेत्र महुआ से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का भी ऐलान कर दिया है।

हालांकि इन छोटी पार्टियों का जनाधार बहुत सीमित है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह गठबंधन महागठबंधन के वोट बैंक में सेंध लगा सकता है, जिससे भाजपा-जदयू गठबंधन को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंच सकता है।

क्या ओवैसी की राह पर हैं तेज प्रताप?

तेज प्रताप की रणनीति को देखकर यह कहा जा सकता है कि वह असदुद्दीन ओवैसी की तर्ज पर एक थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी बिहार में नए गठबंधन की तैयारी कर रही है, जिससे विपक्षी वोटों का और अधिक बंटवारा हो सकता है।

किसे होगा फायदा?

यदि विपक्षी दलों के भीतर इस तरह का टकराव और गठबंधन चलता रहा, तो इसका सीधा फायदा एनडीए को मिलेगा। वहीं, तेजस्वी यादव को अपने पक्ष में कांग्रेस, वामपंथी दल और लालू यादव का समर्थन हासिल है, जो उन्हें राजनीतिक मजबूती देता है। तेज प्रताप की छवि अभी भी अस्थिर और गैर-जिम्मेदाराना मानी जाती है, जिससे उनका प्रभाव सीमित रह सकता है।

Putin India Visit: PM मोदी के खास दूत ने कर दिया काम, रूस से आ गई गुड न्यूज…अब Trump के टैरिफ बम की निकलेगी हवा

Advertisement