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Successful Person: झारखंड के शिवम को गूगल ने ऑफर किया 2 करोड़ का पैकेज, जानें इनकी सफलता की कहानी

Success Story of Shivam: 12 वीं के बाद 75% से कम नंबर आने के बाद जेईई एडवांस्ड में एडमिशन नहीं मिलता है। ऐसे में कई छात्र मायूस हो जाते हैं पर शिवम ने हार नहीं मानी और उन्होंने अपनी सफलता की कहानी खुद ही लिख डाली।

By: Shivi Bajpai | Published: September 12, 2025 6:23:18 PM IST



Success Story: झारखंड के गुमला जिले के छोटे से गांव के रहने वाले शिवम राज ने साबित कर दिया है कि जिंदगी के सफर में अगर एक चीज़ हासिल न हो तो निराश होने की जगह कोई नया रास्ता निकाल लेना चाहिए। उनके 12 वीं में 75% आए थे पर उन्होंने दोबारा से 12 वीं का एग्जाम दिया और 86% अंक हासिल कर लिए. इसके बाद IITs में एडमिशन के लिए आयोजित होने वाली जेईई मेन्स और एडवांस्ड को भी पास किया लेकिन इसके बाद भी उन्होंने IITs में दाखिला नहीं लिया। संभवत उस वक्त उनके फैसले पर कई लोगों ने सवाल खड़े किए होंगे, लेकिन आज उन्हें गूगल ने 2 करोड़ का पैकेज ऑफर किया है।

बीआईटी मेसरा से की इंजीनियरिंग 

शिवम ने अपनी स्कूली पढ़ाई रांची के जेवीएम श्यामली से पूरी की। इसके बाद उन्होंने बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में बी.टेक किया। साल 2021 में ग्रेजुएशन के दौरान ही उन्हें कैंपस प्लेसमेंट में 52 लाख रुपये का पैकेज मिला, जो किसी भी छात्र के लिए बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है। इसके बाद दो साल तक उन्होंने फ्रंट-एंड डेवलपर के तौर पर काम किया और अपने तकनीकी कौशल को और निखारा।

अमेरिका में मास्टर्स और गूगल का ऑफर

नए अवसरों और चुनौतियों को अपनाने की चाह ने शिवम को अमेरिका तक पहुँचा दिया। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स, एमहर्स्ट से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स की पढ़ाई की। इसी दौरान उन्होंने गूगल के करियर पोर्टल के माध्यम से आवेदन किया। चार कठिन इंटरव्यू राउंड्स को पास करने के बाद उन्हें करीब 2 करोड़ रुपये वार्षिक पैकेज का शानदार ऑफर मिला।

परिवार ने दिया साथ

शिवम के माता-पिता राजकुमार ओहदार और डॉ. अर्चना कुमारी दोनों ही प्रोफेसर हैं और वर्तमान में रांची के अरगोड़ा क्षेत्र में रहते हैं। शिवम मानते हैं कि माता-पिता का सहयोग और पढ़ाई का अनुकूल वातावरण उनकी सबसे बड़ी शक्ति रहा है। बारहवीं की पहली परीक्षा में जब परिणाम उम्मीदों के अनुसार नहीं आया, तब परिवार ने उनका मनोबल टूटने नहीं दिया और उन्हें बेहतर तैयारी करने के लिए प्रेरित किया।

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असफलता को बनाया अवसर

शिवम का कहना है कि असफलता अंत नहीं, बल्कि सुधार का मौका होती है। उनका मानना है कि 74% अंक किसी भी छात्र के लिए असफलता का पैमाना नहीं, बल्कि आगे बढ़ने की शुरुआत है। वे निरंतर सीखने और जिज्ञासा बनाए रखने को ही वास्तविक सफलता की कुंजी मानते हैं।

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