बिहार की सियासत में अब सबसे बड़ा सवाल यही है क्या नीतीश कुमार को भी इस बार मुस्लिमों पर भरोसा नहीं रहा? जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कुल 101 उम्मीदवारों की सूची जारी की है, लेकिन इनमें से सिर्फ 4 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा गर्म है कि नीतीश कुमार भी कहीं बीजेपी की राह पर तो नहीं चल पड़े हैं एक ओर जहां बीजेपी ने मुस्लिमों को मौका नहीं दिया है वहीँ दूसरी ओर जदयू ने इतने कम मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. यह फैसला कहीं भाजपा की रणनीति की तर्ज़ पर तो नहीं लिया, जहां अल्पसंख्यक समीकरण को सीमित दायरे में रखा गया है. अब सवाल उठ रहा है. क्या इस कदम से नीतीश को राजनीतिक फायदा होगा या उल्टा ‘M फैक्टर’ की नाराज़गी पार्टी को नुकसान पहुँचा सकती है?
चार मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में
जेडीयू ने अपनी दूसरी सूची में चार मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। शगुफ्ता अजीम, मंजर आलम, सबा जफर और जमा खान को उम्मीदवार बनाया गया है. राज्य में 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा और 14 नवंबर को नतीजे घोषित किए जाएँगे.
जेडीयू ने अररिया से शगुफ्ता अजीम, जोकीहाट से मंजर आलम, अमौर से सबा जफर और चैनपुर से जमा खान को उम्मीदवार बनाया है.
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2020 में 11 मुसलमानों को टिकट
गौरतलब है कि जेडीयू ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे. हालाँकि, उस चुनाव में जेडीयू का एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीत पाया था. जमा खान ने चैनपुर विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर जीत हासिल की और बाद में जदयू में शामिल होकर मंत्री बने.
CM नीतीश शुरू करेंगे चुनाव प्रचार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ ही दिनों में अपना चुनाव प्रचार शुरू करने वाले हैं. गृह मंत्री अमित शाह भी बिहार पहुँच रहे हैं. वह भाजपा कार्यकर्ताओं से मिलेंगे और एनडीए में एकजुटता का संदेश देंगे. जदयू ने अपनी दूसरी सूची में नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है.