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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: लालगंज सीट पर इस बार किसको मिलेगी जीत? क्या कहते हैं चुनावी आंकड़े

Lalganj Vidhan Sabha Seat: इस सीट की स्थापना 1951 में हुई थी। शरुआती दौर में यहां कांग्रेस का दबदबा स्पष्ट देखने को मिला, लेकिन वर्तमान समय में यह सीट एनडीए का अभेद्य किला बन चुकी है 2020 विधानसभा चुनाव में संजय कुमार सिंह ने पहली बार बीजेपी का कमल खिलाया था।

By: Mohammad Nematullah | Published: August 28, 2025 12:22:02 PM IST



Lalganj Vidhan Sabha Seat: बिहार विधानसभा चुनाव अब हाल ही में होने को हैं, बिहार में  कुल 243 सीटों पर पार्टीया अपनी-अपनी  उम्मीदवार उतारेंगे। जिसमें बिहार के वैशाली जिले की लालगंज विधानसभा सीट काफी चर्चें में है। वे संसदीय क्षेत्र के अंदर आती है। गंडक और नारायणी नदी के तट पर स्थित इस सीट का इतिहास काफी गौरवशाली रहा, 1869 में यहां नगरपालिका की स्थापना हुई थी। जिसमे लालगंज को बिहार के दूसरे सबसे पुराने नगरपालिका होने का गौरव हासिल हुआ। इतने गौरवमयी इतिहास वाली सीट पर पिछले कुछ सालों में काफी राजनीतिक हिंसा देखने को मिली है। बाहुबली नेता विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला और बृज बिहारी प्रसाद की अदावत ने इस मिट्टी पर काफी खून और पसीने बहाया। बाहुबली नेताओं के हिंसक राजनीति के कारण बिहार के लालगंज की सीट अब हॉट सीटों में शामिल हो गया है | 

क्या है लालगंज सीट का इतिहास?

लालगंज विधानसभा की स्थापना 1951 में हुई थी। शुरुआती दौर में यहां कांग्रेस का दबदबा स्पष्ट देखने को मिला, लेकिन वर्तमान समय में यह सीट एनडीए का अखंडनीय किला बन चुकी है। 1967 में परिसीमन के बाद यह एकीकृत सीट बन गई। तब से अब तक इस क्षेत्र में 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। जिसमे कांग्रेस ने ४ बार जीत हासिल  की और जेडीयू, जनता दल और एलजेपी  ने २-२  बार, लोकतांत्रिक कांग्रेस, जनता पार्टी, निर्दलीय और भाजपा ने 1-1 बार जीत दर्ज की है।

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मुन्ना शुक्ला का दबदबा

कुख्यात अपराधी छोटन शुक्ला के छोटे भाई मुन्ना शुक्ला यहां से तीन बार विधायक रह चुके हैं। राबड़ी सरकार में मंत्री बृज बिहारी प्रसाद के गुर्गों ने छोटन शुक्ला की हत्या कर दी थी। बाद में मुन्ना शुक्ला ने बृज बिहारी प्रसाद की हत्या कर दी थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है। मुन्ना शुक्ला साल 2000 में वह निर्दलीय जीते थे। इसके बाद फरवरी 2005 में एलजेपी और अक्टूबर 2005 में जेडीयू के टिकट पर जीत हासिल की। 2010 में उनकी पत्नी अन्नू शुक्ला ने जेडीयू की टिकट पर चुनाव जीता था। मुन्ना शुक्ला ने 2009 और 2014 में जेडीयू के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, फिर आरजेडी में शामिल हुए और 2024 में एक बार फिर हार का सामना। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुन्ना शुक्ला को बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में दोषी करार देकर सजा सुना दी।

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