यह चुनावी नतीजा सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीति के रंग में भी कई तहें खोलता है. जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा के चार सीटों के लिए हुए चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तीन सीटें जीतकर अपनी ताकत दिखाई, जबकि भाजपा को केवल एक सीट मिली. लेकिन असली चर्चित मुद्दा बन गया उमर अब्दुल्ला का तीखा बयान, जिसमें उन्होंने भाजपा की “गुप्त टीम” और उसके कथित कारनामों पर सवाल उठाए. जानिए कैसे इस चुनाव ने राजनीति की बिसात बदल दी और क्यों उमर का यह बयान बना चर्चा का केंद्र.
जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा की चार सीटों के लिए आज मतगणना हुई और नतीजे घोषित किए गए. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तीन सीटें जीतीं, जबकि भाजपा ने एक सीट जीती. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्यसभा चुनाव के नतीजों पर एक बयान जारी किया. उन्होंने तीनों नेशनल कॉन्फ्रेंस उम्मीदवारों को उनकी जीत पर बधाई दी, लेकिन कहा कि उनकी पार्टी चौथी सीट इसलिए हार गई क्योंकि उसे “आखिरी समय में निराश किया गया.”
All of @JKNC_ votes remained intact across the four elections, as witnessed by our election agent who saw each polling slip. There was no cross voting from any of our MLAs so the questions arise – where did the 4 extra votes of the BJP come from? Who were the MLAs who…
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 24, 2025
उमर अब्दुल्ला ने बधाई दी
X पर एक पोस्ट में, उमर अब्दुल्ला ने कहा, “मेरे सहयोगियों चौधरी मोहम्मद रमज़ान, सज्जाद किचलू और शम्मी ओबेरॉय को राज्यसभा चुनाव में उनकी जीत पर हार्दिक बधाई. मैं उन्हें संसद में जम्मू-कश्मीर के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हुए एक नई पारी शुरू करने के लिए शुभकामनाएं देता हूँ.” मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, जो नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष भी हैं, ने कहा कि पार्टी ने चौथी सीट पर अपने उम्मीदवार इमरान नबी डार की जीत सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया था, लेकिन आखिरी समय में उन्हें निराशा हाथ लगी.
क्रॉस-वोटिंग पर उमर अब्दुल्ला का बयान
उमर ने अब्दुल्ला कहा कि उनके किसी भी विधायक ने क्रॉस-वोटिंग नहीं की, इसलिए सवाल उठता है कि भाजपा को मिले चार अतिरिक्त वोट किसके थे. मुख्यमंत्री जानना चाहते थे कि वे विधायक कौन थे जिन्होंने “मतदान के दौरान गलत वरीयता संख्या दर्ज करके जानबूझकर अपने वोट अमान्य कर दिए।” उन्होंने पूछा, “क्या उनमें हमें वोट देने का वादा करने के बाद भाजपा की मदद करने की बात स्वीकार करने का साहस है? किस दबाव या प्रलोभन ने उन्हें यह रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित किया? देखते हैं कि भाजपा की गुप्त टीम का कोई सदस्य अपनी आत्मा बेचने की बात स्वीकार करता है या नहीं!”