Nimisha Priya case update: यमन में मौत की सजा का सामना कर रही नर्स निमिषा प्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने मामले की समीक्षा करते हुए आगे की सुनवाई जनवरी 2026 तक स्थगित कर दी. इस बीच, केंद्र सरकार और याचिकाकर्ता संगठन के बीच कुछ अहम कदम उठाए जा रहे हैं, जो इस विवादित मामले की दिशा तय कर सकते हैं.
यमन में हत्या के आरोप में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर फिलहाल रोक लगा दी गई है और अब कोई प्रतिकूल घटना नहीं घटेगी, यह जानकारी गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को दी गई. केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को बताया कि इस मामले में एक नया मध्यस्थ सामने आया है. आपको बता दें कि शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र को 38 वर्षीय भारतीय नर्स को बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का इस्तेमाल करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी व्यापारिक साझेदार की हत्या का दोषी ठहराया गया था.
पीठ ने पूछा, “फांसी का क्या हुआ?”
याचिकाकर्ता संगठन ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’, जो प्रिया को कानूनी सहायता प्रदान कर रहा है, उसकी ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि फिलहाल फांसी पर रोक लगा दी गई है. अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने कहा, “एक नया मध्यस्थ सामने आया है.” उन्होंने यह भी कहा, “एकमात्र अच्छी बात यह है कि कोई प्रतिकूल घटना नहीं घटी है.” याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मामले की सुनवाई स्थगित की जा सकती है. पीठ ने कहा, “जनवरी 2026 में सुनवाई होगी. स्थिति की माँग होने पर पक्षकारों के लिए शीघ्र सुनवाई के लिए आवेदन करने का विकल्प खुला रहेगा.”
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2017 में दोषी ठहराया गया था दोषी
आपको बताते चलें कि प्रिया को 2017 में दोषी ठहराया गया था, 2020 में उसे मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उसकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई. केरल के पलक्कड़ की रहने वाली प्रिया यमन की राजधानी सना की एक जेल में कैद है. याचिकाकर्ता के वकील ने पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि शरिया कानून के तहत स्वीकार्य व्यावसायिक साझेदार के परिवार को रक्तदान राशि (ब्लड मनी) के भुगतान पर विचार किया जा सकता है. उन्होंने कहा था कि अगर रक्तदान राशि का भुगतान किया जाता है तो पीड़ित का परिवार प्रिया को माफ़ कर सकता है.
17 जुलाई को, भारत ने कहा कि वह मामले में “पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान” तक पहुँचने के प्रयासों के तहत यमन के अधिकारियों के साथ-साथ कुछ मित्र देशों के संपर्क में है. एक दिन बाद, केंद्र ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि प्रयास जारी हैं और केंद्र सरकार प्रिया की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. 14 अगस्त को याचिकाकर्ता संगठन के वकील ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि प्रिया को “कोई तत्काल खतरा” नहीं है.
इससे पहले, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि प्रिया की माँ पीड़ित परिवार से बातचीत करने के लिए यमन में थीं और वह वहाँ इसलिए गई हैं क्योंकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र से उन्हें यात्रा की अनुमति देने का अनुरोध किया था.
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