China Burial Law: दुनिया के हर देश की अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं होती हैं, और मृत्यु संस्कार उनमें एक विशेष स्थान रखते हैं. चीन में भी सदियों पुरानी अंतिम संस्कार परंपराएँ हैं जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही हैं. हालांकि, पिछले कुछ दशकों में इन परंपराओं में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं.
चीन में पारंपरिक रूप से, मृत्यु के बाद शव को दफनाने की प्रथा का पालन किया जाता रहा है. मृतक के परिवार और रिश्तेदार सात दिनों का शोक समारोह मनाते हैं. इस दौरान, लोग मृतक के साथ अपने रिश्ते के अनुसार कपड़े पहनते हैं—उदाहरण के लिए, बेटे और बेटियाँ सफेद कपड़े पहनते हैं, जबकि दूर के रिश्तेदार नीला, हरा या काला पहन सकते हैं. लाल, पीले और भूरे रंग के कपड़े वर्जित हैं. अंतिम संस्कार से पहले, मृतक को साफ कपड़े पहनाए जाते हैं और भाग्य कैलेंडर द्वारा निर्धारित शुभ दिन और समय पर ताबूत में रखा जाता है.
सालों पहले माओ ने दिया था आदेश
हालांकि, इन पारंपरिक प्रथाओं में 1956 में एक बड़ा बदलाव आया, जब तत्कालीन चीनी राष्ट्रपति माओ जेडोंग ने आदेश दिया कि देश में लोगों को अब दफनाया नहीं जाएगा, बल्कि उनका दाह संस्कार किया जाएगा. इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य भूमि संरक्षण था, क्योंकि तेज़ी से बढ़ती आबादी कृषि और शहरी विकास के लिए भूमि की कमी पैदा कर रही थी. इस आदेश के बाद, चीनी शहरों में दफ़नाने पर सख़्त प्रतिबंध लगा दिया गया, हालाँकि कुछ ग्रामीण इलाकों में अभी भी इसकी अनुमति है.
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माओ के आदेश का विरोध, लोग जल्दी करने लगे मृत्यु की मांग
माओ के आदेश से कई लोगों में असंतोष फैल गया. कुछ लोगों ने तो इस नीति के लागू होने से पहले ही मर जाने की इच्छा जताई ताकि उन्हें पारंपरिक दफ़नाया जा सके. कब्रिस्तानों को हटाने और ज़मीन के पुनर्प्रयोजन के प्रयासों के कारण भी कई जगहों पर स्थानीय विरोध प्रदर्शन हुए. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की 2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार, कई ऐसे मामले सामने आए जहाँ अधिकारियों ने परिवार की अनुमति के बिना दफ़नाए गए शवों को हटा दिया.
चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय (MCA) के अनुसार, 2014 में हुई 97.7 लाख मौतों में से 45.6% का दाह संस्कार किया गया. इसका मतलब है कि दफ़नाने की परंपरा धीरे-धीरे लुप्त हो रही है.
माता-पिता अपने बच्चों के लिए प्रार्थना नहीं कर सकते!
एक और चीनी मान्यता यह है कि एक बड़ा अपने से छोटे का सम्मान नहीं कर सकता. इसलिए, अगर किसी अविवाहित युवक या बच्चे की मृत्यु हो जाती है, तो उसके माता-पिता उसके लिए प्रार्थना नहीं कर सकते. बच्चे या अविवाहित व्यक्ति का शव घर नहीं लाया जाता, न ही उसका औपचारिक अंतिम संस्कार किया जाता है; उसे चुपचाप दफना दिया जाता है.
इस प्रकार, चीन की अंतिम संस्कार परंपराएं उसकी संस्कृति, सामाजिक संरचना और सरकारी नीतियों का मिश्रण हैं—जहां परंपरा और आधुनिकता अभी भी अपने-अपने तरीकों से संघर्ष करती हैं.
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