Bihar Assembly Election: आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कांग्रेस और बीजेपी दोनों पर निशाना साधकर संकेत दिया है वह बिहार में अकेले चुनाव लड़ेंगे। इससे वह किसका नुकसान करेंगे। दरअसल, नेशनल हेराल्ड केस का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हम लोगों को तो झूठे मामलों में जेल भेजा गया, लेकिन गांधी परिवार का कोई सदस्य जेल क्यों नहीं गया? जबकि उन पर भी नेशनल हेराल्ड में केस चल रहा है। आम आदमी पार्टी कांप्रोमाइज की राजनीति नहीं करती है। इस पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने अरविंद केजरीवाल को निशाने पर लेते हुए कहा कि सत्ता जाने से उनका मानसिक संतुलन हिल गया है।
दिल्ली के दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस और बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में गांधी परिवार से कोई भी जेल नहीं गया। उन्होंने कहा लोग कहते हैं कि कांग्रेस और बीजेपी की साथ-गांठ। उन्हें कोई जेल नहीं भेज पाया और हमारे खिलाफ फर्जी मुकदमे लगाकर हमें जेल भेजा गया। हम किसी से समझौता नहीं करेंगे। चलिए इस बयान की रौशनी में आगामी बिहार चुनाव में उनकी पार्टी की भूमिका को समझने की कोशिश करते हैं।
बिहार चुनाव में कोई दोस्त नहीं (Bihar Election News)
बिहार चुनाव के लिए अरविंद केजरीवाल ने पहले ही साफ कर दिया था कि अब दोस्ती किसी सियासी दल से नहीं, और दुश्मन तो अब सब हैं। यानि कल जो केरीवाल ने कहा है उस नजरिये से भाजपा के साथ-साथ अब कांग्रेस भी उनके निशाने पर है। यह भी किसी से छुपा नहीं है कि कि अरविंद केजरीवाल ने अपने सियासी करियर में किसी एक पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, तो वो कोई और नहीं सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस है। दिल्ली में जबसे कांग्रेस गई है तो भी तक चंद सीटें जीतने के लिए संघर्ष कर रही है।
कांग्रेस-RJD के लिए बड़ा खतरा? (RJD Congress Alliance)
केजरीवाल बिहार में चुनाव लड़ने के लिए कमर कस चुके हैं। और ऐसे में अगर केजरीवाल कांग्रेस, जो पहले से ही बिहार में लालू यादव और तेजस्वी की राजद के गठबंधन में कुछ सीटें पाने की कोशिश कर रही है, के खिलाफ कोई बड़ा प्लान बनाते हैं, तो किसी को हैरानी नहीं होगी, क्योंकि उन्होंने साफ़ कह दिया है कि भारत गठबंधन सिर्फ़ और सिर्फ़ लोकसभा के लिए है।
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हालाँकि केजरीवाल के पास बिहार के लिए कोई बड़ा चेहरा नही है और न ही कोई कार्यकर्ता। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि बिहार में चुनाव लड़ने के लिए केजरीवाल 243 उम्मीदवार कैसे तलाशेंगे। अगर अगर नहीं कर पाते हैं तो क्या वो कुछ ऐसी सीटों से अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं जहां NDA के साथ कांग्रेस कर राजद मुख्य सीटों पर चुनाव लड़ेगी। फिलहाल यह सब भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है। हालाँकि जो भी हो, कांग्रेस और RJD को NDA के साथ-साथ AAP पर भी ध्यान देना होगा, वर्ना न सिर्फ बिहार की बाजी हाथ से जा सकती है बल्कि औसत सीटों में भी सेंध लग सकती है।
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