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Nikki Dowry Murder Case: दहेज के लोभी हर साल लील जाते हैं कितनी बेटियां? जानें क्या कहते हैं NCRB के आंकड़े

Nikki Dowry Murder Case के बीच NCRB की एक रिपोर्ट वायरल हो रही है, जिसमें दहेज लोभियों के हाथों बेटियों की हत्याओं का चौंकाने वाला आंकड़ा शेयर किया गया है।

By: Utkarsha Srivastava | Last Updated: August 27, 2025 11:48:20 AM IST



Nikki Dowry Murder Case: ग्रेटर नोएडा की निक्की को 28 की उम्र में दर्दनाक मौत मिली, उसके साथ ये राक्षसी कांड दहेज के लोभी ससुरालियों ने किया। पैसों की लालच में पति विपिन भाटी और सास दयावती को ऐसी हैवानियत सवार हुई कि बहू को फूंक डाला और जलती हुई निक्की का वीडियो देख पूरा देश दहल उठा। पुलिस पड़ताल और पुराने वीडियोज से पता चला कि उसके साथ आए दिन मारपीट होती थी, उसने घरवालों को बताया…क्राइम के सबूत भी जुटाए बनाया लेकिन कानून पर भरोसा नहीं कर पाई। निक्की जैसी कई महिलाएं ऐसे क्राइम की शिकार होती हैं, जिनके बारे में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की है।

Dowry Cases पर क्या कहते हैं NCRB के आंकड़े?

NCRB की रिपोर्ट में महिलाओं के खिलाफ दहेज को लेकर हो रहे अत्याचारों पर डेटा शेयर किया गया है, जिसमें किए गए खुलासे के बाद देश का हर नागरिक सोचने पर मजबूर हो जाएगा। NCRB के लेटेस्ट डेटा में बताया गया है कि साल 2022 में भारत में दहेज के लालच में 6,450 महिलाएं मौत के घाट उतारी जा चुकी हैं। इन मर्डर केसेस में से 80 प्रतिशत बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उड़ीसा जैसे राज्यों के हैं।

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दहेज के लोभी लील जाते हैं कितनी बेटियां?

NCRB के जारी किए गए डेटा के मुताबिक हर तीन दिन में 50 से भी ज्यादा महिलाएं दहेज प्रताणनाएं झेलती हैं और लोभियों के हाथों उनकी हत्या होती है। साल 2021 में दहेज प्रताणना का आंकड़ा 6,753 था और 2020 में 6,966 था। एनसीआरबी की रिपोर्ट में हैरानी वाला आंकड़ा ये भी है कि निक्की जैसी कई महिलाएं, दहेज विरोधी कानून की मदद नहीं लेती हैं।

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Law Against Dowry Case

हालांकि, दहेज प्रताणना के मामलों के खिलाफ सख्त कानून हैं, जिनमें Dowry Prohibition Act, 1961, IPC धारा 304B, 498A और घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 शामिल हैं। इन कानूनों के बावजूद भी NCRB आंकड़ों की मानें तो न्याय मिलने में देरी कानून पर भरोसे की सबसे बड़ी बाधा बनता है। NCRB के मुताबिक साल 2022 के आखिर तक दहेज हत्या के 60,577 मामले कोर्ट पेंडिंग पड़े हुए थे, जिसमें से 54,416 केसेस उससे भी पहले के थे। 2022 में सिर्फ 3,689 केस पर सुनवाई हुई और जिसमें से सिर्फ 33 परसेंट दोषी करार हुए और उन्हें सजा सुनाई गई। ये आंकड़े दहेज हत्या कानून की कड़वी सच्चाई बताने के लिए काफी हैं।

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