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Kangana Ranaut: ‘अमित शाह के मुंह पर पत्थर मारे’, कंगना रनौत ने किस पर लगाया ये सनसनीखेज आरोप, मचा सियासी हड़कंप!

Kangana Ranaut: उन्होंने कहा, 'जिस तरह विपक्षी दलों के सांसद हिंसा कर रहे थे, उस समय हमारी पार्टी के नेताओं ने बहुत संयम से काम लिया, लेकिन संसद के अंदर यह कब तक चलता रहेगा, यही सबसे बड़ी चिंता है।'

By: Ashish Rai | Published: August 20, 2025 10:24:57 PM IST



Kangana Ranaut: बुधवार (20 अगस्त, 2025) को सीएम से लेकर पीएम तक, सबको हटाने वाले विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने लोकसभा में खूब बवाल काटा। विपक्ष के सांसदों ने सदन में विधेयक की प्रति फाड़कर गृह मंत्री की ओर फेंकी। इस पर मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत की प्रतिक्रिया सामने आई है।

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विपक्ष के हंगामे पर कंगना रनौत ने क्या कहा?

कंगना रनौत ने कहा, ‘आज संसद में जो हुआ, जिस तरह का दृश्य हमने देखा, वह किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार कर देगा। जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में विधेयक पेश कर रहे थे, तो विपक्षी दलों के सांसदों ने उनका माइक हटाने की कोशिश की। यहाँ तक कि विपक्षी नेताओं ने विधेयक फाड़कर गृह मंत्री अमित शाह के चेहरे पर फेंक दिया। इसके अलावा, उनमें कई लोग ऐसे भी थे जो पत्थर लेकर आए थे। उन्होंने गृह मंत्री के चेहरे पर पत्थर फेंके।’

उन्होंने कहा, ‘जिस तरह विपक्षी दलों के सांसद हिंसा कर रहे थे, उस समय हमारी पार्टी के नेताओं ने बहुत संयम से काम लिया, लेकिन संसद के अंदर यह कब तक चलता रहेगा, यही सबसे बड़ी चिंता है।’

अमित शाह ने पेश किया विधेयक

दरअसल, अमित शाह ने आज यानि बुधवार को मानसून सत्र के दरम्यान लोकसभा में संविधान में 130वाँ संशोधन करने वाला विधेयक पेश किया। शाह द्वारा पेश किए गए इस विधेयक में प्रावधान है कि अगर पीएम, केंद्रीय मंत्री, सीएम और मंत्री लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहते हैं तो उन्हें त्यागपत्र देना होगा, अन्यथा उन्हें उनके पदों से हटा दिया जाएगा।

विपक्ष ने विधेयक की कड़ी आलोचना की

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में इस विधेयक को पेश करते ही विपक्षी नेताओं ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्षी नेताओं ने इस विधेयक की कड़ी आलोचना की और इसे वापस लेने की भी माँग की। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस विधेयक को असंवैधानिक करार देते हुए कहा, ‘यह विधेयक राज्य की संस्थाओं द्वारा राजनीतिक दुरुपयोग का द्वार भी खोलता है, जिनके मनमाने आचरण पर सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार आपत्ति जताई है।’

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