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Jharkhand News: गिरिडीह में अवैध खदान ने ली मजदूर की जान, पुलिस और खनन माफिया की मिलीभगत उजागर

Jharkhand News: झारखंड में अवैध खनन का काला खेल लगातार मजदूरों की जान ले रहा है। कोयला हो या पत्थर—खनन माफियाओं और प्रशासन की मिलीभगत से यह धंधा बेरोकटोक चल रहा है। ताजा मामला गिरिडीह जिले के परसन थाना क्षेत्र के पंदनाटांड़ का है, जहां अवैध पत्थर खदान में काम कर रहे एक मजदूर की मौत हो गई।

By: Mohammad Nematullah | Published: August 19, 2025 12:36:22 PM IST



मनीष मेहता की रिपोर्ट, Jharkhand News: झारखंड में अवैध खनन का काला खेल लगातार मजदूरों की जान ले रहा है। कोयला हो या पत्थर—खनन माफियाओं और प्रशासन की मिलीभगत से यह धंधा बेरोकटोक चल रहा है। ताजा मामला गिरिडीह जिले के परसन थाना क्षेत्र के पंदनाटांड़ का है, जहां अवैध पत्थर खदान में काम कर रहे एक मजदूर की मौत हो गई। मृतक की पहचान 50 वर्षीय बालकिशुन मेहता (निवासी – बेराडीह, डोमचांच, कोडरमा) के रूप में हुई है। बालकिशुन की मौत खदान में ड्रिलिंग मशीन से गिरने के बाद मौके पर ही हो गई। बताया गया कि जिस खदान में यह हादसा हुआ उसकी लीज तीन साल पहले ही खत्म हो चुकी है, बावजूद इसके खनन माफिया महेन्द्र मोदी खुलेआम पत्थर का उत्खनन करा रहा था।

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पुलिस की चुप्पी और समझौते का खेल

हादसे के बाद खदान संचालक महेन्द्र मोदी और उसके गुर्गों ने शव को ठिकाने लगाने की कोशिश की। लेकिन घटना की सूचना किसी मजदूर ने मृतक के परिजनों को दे दी। परिजन व गांव के लोग जब खदान पर पहुंचे तब जाकर मामला बाहर आया। मामले की जानकारी परसन थाना पुलिस को भी दी गई, लेकिन पुलिस कई घंटों तक खामोश तमाशबीन बनी रही। जब ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ा तब पुलिस ने शव कब्जे में लिया, मगर यहां भी माइंस संचालक को बचाने की कोशिशें होती रहीं। परिजनों के रोने-चिल्लाने के बीच खदान संचालक और उसके आदमी थाना परिसर में ही शव पर मोलभाव करते रहे। आखिरकार देर रात तक पुलिस की मौजूदगी में ही 5 लाख रुपये मुआवजा तय कर परिजन आवेदन वापस लेने पर मजबूर हो गए।

अवैध खनन

यह कोई पहला मामला नहीं है। गिरिडीह, कोडरमा और हजारीबाग की सीमाओं पर अवैध कोयला और पत्थर खनन का कारोबार लंबे समय से चल रहा है। लीज खत्म होने के बाद भी माफिया प्रशासन की मिलीभगत से मजदूरों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। सवाल यह है कि मजदूर की लाश पर सौदेबाजी करने वाली यह व्यवस्था कब तक गरीबों का खून चूसती रहेगी?

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