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SI Rateesh Chanchal Pandey: ट्रांसफर आदेश को किया नजरअंदाज, मोहाना थाने में करी ज्वाइनिंग, जाने पूरा मामला…

SI Rateesh Chanchal Pandey: सिद्धार्थनगर पुलिस के ट्रांसफर सिस्टम पर एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है, मामला SI रतीश चंचल पांडेय का है, जिन्होंने हाल के दिनों में ट्रांसफर आदेश को ठेंगा दिखाते हुए सीधे मोहाना थाने में ज्वाइन कर लिया जबकि उनका नाम उस थाने के लिए आदेश में था ही नहीं।

By: Srishti Sharma | Published: August 15, 2025 2:51:47 PM IST



उमेर सिद्दीकी की रिपोर्ट, SI Rateesh Chanchal Pandey: सिद्धार्थनगर पुलिस के ट्रांसफर सिस्टम पर एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है, मामला SI रतीश चंचल पांडेय का है, जिन्होंने हाल के दिनों में ट्रांसफर आदेश को ठेंगा दिखाते हुए सीधे मोहाना थाने में ज्वाइन कर लिया जबकि उनका नाम उस थाने के लिए आदेश में था ही नहीं।

नियमों के मुताबिक ज्वाइन नहीं की

जानकारी के मुताबिक, रतीश चंचल पांडेय का आधिकारिक तबादला सदर थाने से 19 अप्रैल को शोहरतगढ़ थाना किया गया था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद, सिद्धार्थनगर में उनका कार्यकाल पूरा होने पर 15 जून को बस्ती जिले के लिए तबादला कर दिया गया, लेकिन नियमों के मुताबिक जहां उन्हें ज्वाइन करना था, वहां जाने के बजाय वे सीधे मोहाना थाना पहुंच गए और कार्यभार संभाल लिया। यह घटना अब जिले भर में चर्चा का विषय बन चुकी है।

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बिना विभागीय अनुमति किसी अन्य स्थान पर ज्वाइन करना अवैध

उत्तर प्रदेश पुलिस विनियमावली के अनुसार, किसी भी पुलिस अधिकारी को उसी स्थान पर कार्यभार ग्रहण करना अनिवार्य है, जिसका उल्लेख विभागीय आदेश में हो। ऑल इंडिया सर्विसेज (Conduct) Rules, 1968 के तहत, बिना विभागीय अनुमति किसी अन्य स्थान पर ज्वाइन करना अवैध ज्वाइनिंग और अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है, ऐसे मामलों में विभागीय जांच,आदेश रद्द करने, और यहां तक कि निलंबन तक की कार्रवाई का प्रावधान है।

ऑर्डर है, लेकिन मानना जरूरी नहीं

पुलिस महकमे में चर्चा है कि मोहाना थाने पर रतीश चंचल पांडेय की तैनाती किसी संयोग का नतीजा है। क्या एक उप निरीक्षक खुले आम ट्रांसफर आदेश की अनदेखी कर सकता है? अगर नियम तोड़ने पर कार्रवाई नहीं होती, तो पुलिस विभाग में अनुशासन कैसे कायम रहेगा? क्या इस मामले में एसपी सिद्धार्थनगर निष्पक्ष जांच करेंगे? गर इस पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला पूरे पुलिस विभाग के लिए गलत मिसाल बन जाएगा, फिर संदेश साफ होगा- ऑर्डर है, लेकिन मानना जरूरी नहीं, कानून व्यवस्था में विश्वास तभी बन सकता है, जब कानून सबके लिए बराबर हो चाहे वह आम आदमी हो या वर्दी में बैठा अधिकारी। अब देखना यह है कि एसपी सिद्धार्थनगर और उच्च अधिकारी इस पर क्या कदम उठाते हैं और क्या यह मामला कार्रवाई तक पहुंचेगा या फिर फाइलों में दबकर रह जाएगा इसका जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा।

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