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Anas al-Sharif: अनस अल-शरीफ पत्रकार था या आतंकवादी? इजरायल के दावे पर चीख पड़ा पूरा गाजा

Anas al-Sharif: अल जजीरा के पत्रकार अनस अल-शरीफ अपने चार सहयोगियों के साथ गाजा शहर में एक इजरायली हमले में मारे गए। हमले में रविवार देर शाम अल-शिफा अस्पताल के मुख्य द्वार के बाहर पत्रकारों के लिए एक तम्बू को निशाना बनाया गया, जिसमें कुल सात लोग मारे गए।

By: Sohail Rahman | Published: August 11, 2025 11:28:57 AM IST



Who was Anas al-Sharif: अल जजीरा के पत्रकार अनस अल-शरीफ अपने चार सहयोगियों के साथ गाजा शहर में एक इजरायली हमले में मारे गए। हमले में रविवार देर शाम अल-शिफा अस्पताल के मुख्य द्वार के बाहर पत्रकारों के लिए एक तम्बू को निशाना बनाया गया, जिसमें कुल सात लोग मारे गए। अल जजीरा ने संवाददाता अल-शरीफ और मोहम्मद करीके की मौत की पुष्टि की, साथ ही कैमरामैन इब्राहिम जहीर, मोहम्मद नौफल और मोअमेन अलीवा की भी मौत की पुष्टि की। 

पत्रकार ने लिखा था ये आखिरी पोस्ट

अपनी मौत से कुछ पल पहले अल-शरीफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया था। जिसमें उन्होंने लिखा था कि, गाजा शहर में  बहुत तेज इजरायली बमबारी की की चेतावनी देते हुए एक पोस्ट लिखा था। महीनों पहले लिखे गए अपने अंतिम संदेश में, जिसे उनकी हत्या होने पर जारी करने का इरादा था, उन्होंने कहा कि “बार-बार दर्द, दुःख और क्षति” सहने के बावजूद उन्होंने “सच्चाई बताने में कभी संकोच नहीं किया।”



पत्रकारों की सुरक्षा समिति (CPJ) ने क्या कहा?

पत्रकारों की सुरक्षा समिति (CPJ) ने कहा कि वह इन हत्याओं से “स्तब्ध” है, और उस पैटर्न की चेतावनी दी है जिसमें इजरायल बिना विश्वसनीय सबूत दिए पत्रकारों को आतंकवादी करार देता है। फिलिस्तीनी पत्रकार संघ ने इस हमले को हत्या का एक “खूनी अपराध” बताया।

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कौन थे अनस अल-शरीफ?

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, 28 वर्षीय अनस अल-शरीफ अल जजीरा के एक प्रसिद्ध अरबी संवाददाता थे, जो गाजा में युद्ध को कवर करने वाली सबसे चर्चित आवाजों में से एक बन गए। अनस अल शरीफ दो बच्चों के पिता थे। शरीफ ने दिसंबर 2023 में अपने पिता के इजरायली हमले में मारे जाने के बाद भी उत्तरी गाजा छोड़ने से इनकार कर दिया था। उन्होंने उत्तरी गाजा से व्यापक रूप से रिपोर्टिंग की थी, अक्सर इजरायली बमबारी के बाद के हालात का दस्तावेजीकरण किया था।



शरीफ ने सीपीजे (CPJ) को क्या बताया था?

आपको जानकारी के लिए बता दें कि, अल जजीरा के एक प्रसिद्ध अरबी संवाददाता अनस अल-शरीफ ने पिछले महीने ही सीपीजे को बताया था कि उन्हें “किसी भी क्षण बमबारी और शहीद होने” का डर है, क्योंकि एक इजरायली सैन्य प्रवक्ता ने सार्वजनिक रूप से उन पर हमास का सदस्य होने का आरोप लगाया था। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने इस दावे को “निराधार” और “पत्रकारों पर जबरदस्त हमला” बताया था। अल-शरीफ  के सहयोगियों का कहना है कि वह दुनिया को गाजा की सच्चाई दिखाने के लिए प्रतिबद्ध थे। अल जजीरा के प्रबंध संपादक मोहम्मद मोआवाद ने बीबीसी को बताया, “उन्हें उनके तंबू में निशाना बनाया गया; वे अग्रिम पंक्ति से कवरेज नहीं कर रहे थे।”

आईडीएफ (IDF) ने किया ये दावा

इजरायली रक्षा बलों (IDF) ने हमले की पुष्टि की है और आरोप लगाया है कि अल-शरीफ ने “पत्रकार के रूप में खुद को पेश किया” और इजरायली नागरिकों और सैनिकों पर रॉकेट हमले करने के लिए जिम्मेदार हमास सेल के प्रमुख के रूप में काम किया। आईडीएफ ने कहा कि गाजा में बरामद दस्तावेज- जिनमें प्रशिक्षण रिकॉर्ड, कर्मियों की सूची और वेतन विवरण शामिल हैं – हमास से उनके जुड़ाव को साबित करते हैं। इसमें कहा गया है कि नागरिक हताहतों को न्यूनतम करने के लिए सटीक हथियारों, हवाई निगरानी और खुफिया जानकारी का इस्तेमाल किया गया।

अल जजीरा और प्रेस स्वतंत्रता समूहों ने इन दावों को खारिज कर दिया है और इजरायल पर पत्रकारों की हत्या को उचित ठहराने और गाजा के अंदर से रिपोर्टिंग को चुप कराने का प्रयास करने का आरोप लगाया है।

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