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दिल्ली के हॉस्पिटल में लगी भयावह आग, कांच तोड़कर निकाले गए मरीज, एक की मौत, कई घायल

New delhi: रक्षाबंधन के दिन दिल्ली के आनंद विहार स्थित कॉसमॉस हॉस्पिटल में भीषण आग लगने से अफरा-तफरी मच गई। दमकल की 8 गाड़ियों ने कांच तोड़कर 11 लोगों को रेस्क्यू किया, जबकि एक कर्मचारी की मौत हो गई।

By: Shivani Singh | Published: August 9, 2025 6:26:44 PM IST



नई दिल्ली – राखी के दिन दिल्ली में एक बड़ा हादसा सामने आया, जब आनंद विहार क्षेत्र में स्थित कॉसमॉस स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल में शनिवार दोपहर भीषण आग लग गई। आग इतनी तेजी से फैल गई कि अफरा-तफरी मच गई और मरीजों को बचाने के लिए अस्पताल के कांच तक तोड़ने पड़े। इस हादसे में अस्पताल के एक कर्मचारी की दम घुटने से मौत हो गई, जबकि 11 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया।

आग लगने के बाद मची अफरा-तफरी

फायर विभाग के अनुसार, दोपहर करीब 12:12 बजे आग लगने की सूचना मिली। देखते ही देखते आग ने हॉस्पिटल के कई हिस्सों को अपनी चपेट में ले लिया। हालात इतने गंभीर हो गए कि अंदर मौजूद मरीज और स्टाफ धुएं के कारण बेहोशी की हालत में पहुंच गए। आग के कारण पूरे हॉस्पिटल में धुआं भर गया, जिससे सांस लेना मुश्किल हो गया।

दमकल की 8 गाड़ियां और आधुनिक रेस्क्यू उपकरण लगे काम पर

दमकल विभाग ने तुरंत मौके पर 8 गाड़ियां भेजीं। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान दिल्ली पुलिस, फायर ब्रिगेड और बचावकर्मियों ने आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया। धुएं से भरे कमरों में प्रवेश करने के लिए बचाव दल को ऑक्सीजन सिलेंडर पहनकर अंदर जाना पड़ा। कई मरीजों को क्रेन और स्ट्रेचर की मदद से बाहर निकाला गया, जबकि कुछ को पास के निजी अस्पताल में शिफ्ट किया गया।

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अस्पताल का कांच तोड़कर निकाले गए मरीज

गंभीर स्थिति में फंसे मरीजों को बचाने के लिए अस्पताल के शीशे तोड़ दिए गए। एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, “अंदर अंधेरा ही अंधेरा था, सांस लेना बेहद मुश्किल हो रहा था। थोड़ी देर भी रुकने पर दम घुटने लगता था।”

दो घंटे में आग पर काबू

करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। इस हादसे में अमित नाम के एक कर्मचारी की मौत हो गई, जो अस्पताल में स्टाफ के रूप में कार्यरत थे। बाकी 10 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है। फिलहाल आग लगने के कारणों का पता लगाया जा रहा है।

हादसे ने उठाए सुरक्षा पर सवाल

यह घटना दिल्ली के अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अस्पतालों में नियमित रूप से फायर सेफ्टी ऑडिट होना चाहिए और इमरजेंसी निकास मार्ग हमेशा खुला रहना चाहिए, ताकि ऐसे हादसों में जान-माल का नुकसान कम से कम हो।

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