Global Youth Trend: ‘Gen Z’ ये वो शब्द है जो इस समय काफी चर्चाओं में है. ऐसा इसलिए क्योंकि अब जेनरेशन Z ही देश का वर्तमान और भविष्य हैं. लेकिन क्या हो जब देश के भविष्य को ही उसके देश में वो सारी सुविधा ना मिले जो उसके लिए बेहतर हैं. जेनरेशन Z अपने-अपने देश की तरक्की के लिए काफी अहम भूमिका निभा रहे हैं. कुछ जगहों पर Gen Z को काफी महत्वता दी जाती है वहीं कुछ जगह ऐसी हैं जहाँ GenZ के लिए किसी भी तरह की अच्छी व्यवस्था नहीं होती है. कई देश ऐसे हैं जो अपने देश के युवा पीढ़ी को नजरअंदाज किए हुए हैं. वहीं नेपाल की जेनरेशन Z पिछले दो-तीन सालों से गुस्से और नाराज़गी से भरी हुई है. जब उनका गुस्सा फूटा, तो वे सड़कों पर उतर आए और केपी शर्मा ओली की सरकार गिरा दी, जिस पर भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार के कई आरोप थे. ये उदाहरण इसलिए दिया गया है क्योंकि आज के युवा पीढ़ी की ताकत पहले से चार गुनाह ज्यादा हो गई है.
कौन होते हैं Gen Z ?
जेनरेशन Z, या Gen Z, एक ऐसी जेनरेशन है जो आम तौर पर जवान होती है. दरअसल, वो अपने आस-पास की दुनिया बदलना चाहते हैं. पोटेंशियल के हिसाब से, उन्हें डिजिटली एक्सपर्ट जेनरेशन माना जाता है. कई भरोसेमंद सोर्स और ग्लोबल साइट्स का इस्तेमाल करके, हमने इस जेनरेशन को समझने की कोशिश की: उन्हें क्या खुश करता है, उन्हें क्या प्रभावित करता है, और उनकी ज़िंदगी के लिए सबसे ज़रूरी क्या है. ये जवान लोग किन देशों में खुश दिखते हैं, और वो कहां नाराज़गी की लहर पर सवार हैं?
क्या है Gen Z की खासियत
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Gen Z वे युवा लोग हैं जो लगभग 1997 और 2012 के बीच पैदा हुए हैं. दरअसल ये वो युवा हैं जो डिजिटल युग में पले-बढ़े हैं, और उनकी सोच, आदतें और प्राथमिकताएं पिछली पीढ़ियों से काफी अलग हैं. उनके लिए, इंटरनेट, सोशल मीडिया, ग्लोबल कनेक्टिविटी और तेज़ी से बदलते ट्रेंड रोज़मर्रा की बातें हैं.
दरअसल कुछ मामले ऐसे हैं जो उनकी खुशी, क्रिएटिविटी और निराशा पर काफी असर डालती हैं:
- शिक्षा और नौकरी के मौके
- सामाजिक आज़ादी और सहनशीलता
- मेंटल हेल्थ और वर्क-लाइफ बैलेंस
- आर्थिक स्थिरता और सरकारी नीतियां
- डिजिटल एक्सेस और टेक्नोलॉजी से कनेक्शन
- राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा
किस देश सबसे ज्यादा खुश Gen Z
जो देश Gen Zs के लिए सबसे ज्यादा बेहतर और व्यवस्थाओं से भरपूर माने जाते हैं उनमे डेनमार्क, स्वीडन, नीदरलैंड्स, और स्विट्जरलैंड शामिल हैं. गैलप ग्लोबल इमोशंस रिपोर्ट के मुताबिक ये वो देश हैं जो अपने देश के युवाओं को बेहतर इ बेहतर सुविधा प्रदान करते हैं. चाहे वो शिक्षा के क्षेत्र में हो या रोजगार के क्षेत्र में. यही वजह है कि ये देश तेजी से विकास कर रहे हैं. ऐसा इन स्कैंडिनेवियाई देशों में मज़बूत एजुकेशन सिस्टम की वजह से है. स्टूडेंट्स को फ्री या कम फीस पर अच्छी क्वालिटी की एजुकेशन मिलती है. सोशल वेलफेयर सिस्टम बहुत अच्छा है. हेल्थ सर्विसेज़ फ्री या बहुत सस्ती हैं. मेंटल हेल्थ पर खुलकर बात होती है. काम और पर्सनल लाइफ में बैलेंस बनाने के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस का कल्चर है. समाज गे राइट्स, जेंडर इक्वालिटी, और डाइवर्सिटी को लेकर टॉलरेंट है.
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया
यहाँ का खुला माहौल, एनवायरनमेंटल अवेयरनेस और सोशल टॉलरेंस के साथ उनकी खुशी की एक वजह है. दोनों देशों में कल्चरल डाइवर्सिटी है जिसकी तारीफ़ की जाती है. यहाँ, युवा लोग आज़ादी से अपनी बात कह सकते हैं. कनाडा की यूथ वेलबीइंग इंडेक्स रिपोर्ट से पता चलता है कि यहाँ के युवा अपनी ज़िंदगी से खुश हैं, उन्हें सही नौकरी, एजुकेशन, हेल्थकेयर, और सोशल सपोर्ट मिल रहा है.
इन देशों में Gen Z की सबसे खराब हालत
गैलप इंडैक्स और OECD Youth Outlook Reports के अनुसार, जेन Z के लिए ये जिन देशों में सबसे खराब हालत है उनमे अफगानिस्तान, यमन, वेनेजुएला और हैती शामिल हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यहां राजनीतिक अस्थिरता और युद्ध के हालात रहते हैं. इतना ही नहीं ब्लकि आर्थिक संकट, बेरोज़गारी और गरीबी का आलम भी देखने को मिलता है. इतना ही नहीं यहां खराब स्वास्थ्य सुविधाएं हैं, और तो और शिक्षा तक पहुंच कठिनाई से संभव है. इसके अलावा ये वो देश हैं जहां युवा असुरक्षित महसूस करते हैं और भविष्य को लेकर आशंकित हैं. अफगानिस्तान में 80 फीसदी युवा भविष्य को लेकर निराश महसूस करते हैं, क्योंकि वे खुद को असुरक्षित और बेरोज़गार पाते हैं.
इन देशों में भी निराश हैं युवा
इन देशों के अलावा कई और भी देश ऐसे हैं जहां युवा निराश नजर आते हैं और अपने हक़ के लिए लड़ते हैं. पर ये पूरी तरह से “सबसे निराश” श्रेणी में नहीं आते. इन देशों में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत शामिल हैं. उसकी वजह बढ़ती बेरोज़गारी,शिक्षा का कमजोर ढांचा, मानसिक स्वास्थ्य की उपेक्षा, सामाजिक दबाव और परिवार की अपेक्षाएं हैं, साथ ही डिजिटल डिवाइड भी यानि सभी को इंटरनेट या टेक्नोलॉजी का सही उपयोग नहीं मिलता.
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