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US-India Tariff Impact: 50% टैरिफ के बावजूद अमेरिका की इन 3 चीजों के लिए भारत की है जरुरत

India Manufacturing Hub: कुछ क्षेत्र हैं जहाँ डोनाल्ड ट्रम्प 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की हिम्मत नहीं कर पाए हैं। अमेरिका के इस टैरिफ का जिन तीन क्षेत्रों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा उनमें आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग है।

By: Shivani Singh | Published: August 28, 2025 8:14:33 PM IST



Trump tariff: अमेरिका ने मंगलवार, 26 अगस्त को भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की आधिकारिक अधिसूचना जारी कीयह टैरिफ बुधवार, 27 अगस्त को सुबह 9:31 बजे से लागू हो गया हैलेकिन कई ऐसी वस्तुएं हैं जिनपर डोनाल्ड ट्रम्प, टैरिफ लगाने की हिम्मत नहीं कर पाए।

आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 6 अगस्त को रूस से तेल खरीदने पर दंड के तौर पर इस टैरिफ की घोषणा की थी। वहीं, व्यापार घाटे का हवाला देते हुए उन्होंने 7 अगस्त से भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया। यानी अब अमेरिका निर्यात होने वाले भारतीय सामानों पर कुल 50% टैरिफ होगा।

लेकिन आपको बता दें कि कुछ क्षेत्र हैं जहाँ डोनाल्ड ट्रम्प 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की हिम्मत नहीं कर पाए हैं। अमेरिका के इस टैरिफ का जिन तीन क्षेत्रों पर प्रभाव नहीं पड़ेगा उनमें आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग है।

फार्मा पर वर्तमान टैरिफ 0% है, लेकिन ट्रंप ने 18 महीनों में 150% और उसके बाद 250% टैरिफ लगाने की धमकी दी है। जब तक यह लागू नहीं होता, छूट जारी रहेगी।

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इन 3 चीजों पर क्यों नहीं लगा पाए ट्रम्प 50 प्रतिशत टैरिफ?(Why couldn’t Trump impose 50 percent tariff on these 3 things?)

फार्मास्यूटिकल्स की बात करें तो भारत जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है और अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली सस्ती भारतीय दवाओं पर काफी हद तक निर्भर हैअगर इस क्षेत्र पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाता है, तो दवाएं महंगी हो जाएंगी, जिससे अमेरिका के अंदर राजनीतिक दबाव और जनता में नाराजगी बढ़ेगी

स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स की बात करें तो अमेरिकी बाजार में एप्पल, सैमसंग और अन्य कंपनियों की आपूर्ति श्रृंखला का एक बड़ा हिस्सा भारत में स्थानांतरित हो गया है। चीन से दूर जाने के बाद ये कंपनियां भारत में ही अपना उत्पादन बढ़ा रही हैं। अगर इन चीजों पर टैरिफ लगाया जाता है, तो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स महंगे हो जाएंगे। इतना ही नहीं, अमेरिकी कंपनियों की बिक्री पर भी असर पड़ेगा। वहीं, चीन से प्रतिस्पर्धा करने के लिए भारत भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना चाहता है, जिसके चलते इस क्षेत्र को टैरिफ से छूट दी गई है।

ऊर्जा और नवीकरणीय उत्पाद की बात करें तो अमेरिका को भारतीय पेट्रोलियम और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े निर्यात की भी जरूरत है

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