Home > विदेश > कुरान पढ़ो, इस्लाम की शिक्षा लो… इजरायल ने सैनिकों और मोसाद अधिकारीयों के लिए जारी किया फरमान, जानिए पीछे की वजह?

कुरान पढ़ो, इस्लाम की शिक्षा लो… इजरायल ने सैनिकों और मोसाद अधिकारीयों के लिए जारी किया फरमान, जानिए पीछे की वजह?

Islamic studies Israel: ईरान से युद्ध के बाद, इजराइल की नेतन्याहू सरकार ने मोसाद अधिकारियों और आम सैनिकों के लिए एक नया आदेश जारी किया है। इसके तहत अब सभी अधिकारियों और सैनिकों को अनिवार्य रूप से इस्लाम की शिक्षा लेनी होगी।

By: Deepak Vikal | Published: July 9, 2025 6:54:18 PM IST



Islamic studies Israel: ईरान से युद्ध के बाद, इजराइल की नेतन्याहू सरकार ने मोसाद अधिकारियों और आम सैनिकों के लिए एक नया आदेश जारी किया है। इसके तहत अब सभी अधिकारियों और सैनिकों को अनिवार्य रूप से इस्लाम की शिक्षा लेनी होगी। आदेश में कहा गया है कि इसके लिए जल्द ही एक नया पाठ्यक्रम शुरू किया जाएगा।

इजराइल नेशनल न्यूज़ के अनुसार, अक्टूबर 2023 में इजराइल पर हमास के हमले की जाँच में खुफिया चूक को इसका कारण माना गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर अधिकारियों को पहले से अरबी भाषा आती होती, तो स्थिति कुछ और होती।

इस्लाम की शिक्षा क्यों अनिवार्य की गई?

गली तजहल ने अमन के हवाले से बताया है कि अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं। इसे जल्द ही लागू किया जाएगा। सरकार ने कहा है कि यह सभी अधिकारियों के लिए अनिवार्य है, चाहे उनके पद का भाषा से कोई संबंध हो या न हो।

विभाग ने अगले साल तक सभी अधिकारियों को 100 प्रतिशत इस्लामी पाठ और 50 प्रतिशत अरबी भाषा सिखाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए जल्द ही अधिकारियों को इजराइल में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसे अनिवार्य बनाने के 4 मुख्य कारण हैं-

1. मोसाद का असली डर हूतियों से है। मोसाद के अधिकारी हूती विद्रोहियों की भाषा का आसानी से अनुवाद नहीं कर पाते। इस कठिनाई को भी दूर करने के लिए इजराइल ने यह कदम उठाया है।

2. इजराइल में शीर्ष कमांडर भाषा के कारण चीज़ों को आसानी से समझ लेते हैं, लेकिन निचले स्तर पर उन्हें सफलता नहीं मिल पाती। इस्लामी शिक्षा और अरबी को लागू करने के पीछे इसे भी एक कारण माना जा रहा है।

3. इजराइल का मुख्य दुश्मन ईरान है। इजराइल ने हाल ही में प्रॉक्सी नेटवर्क के ज़रिए ईरान में उत्पात मचाया था, लेकिन ईरान अब उसके तौर-तरीकों को समझ गया है। इज़राइल ने आगे की राह आसान बनाने के लिए यह कदम उठाया है।

4. इजराइल मुस्लिम देशों से घिरा हुआ है। इसके पड़ोसी देश जॉर्डन, तुर्की, सऊदी, यमन और लेबनान जैसे देश हैं। जहाँ इस्लाम का बोलबाला है। इजराइल के ज़्यादातर पड़ोसी देशों में अरबी भाषा बोली जाती है। हिब्रू भाषा केवल इजराइल में ही प्रचलित है।

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कैसे चालू होगी प्रक्रिया?

रिपोर्ट के अनुसार, AMAN के भीतर एक नया शैक्षिक प्रभाग बनाया जाएगा। इसमें खुफिया अधिकारियों को बारी-बारी से भाषा की जानकारी दी जाएगी। अधिकारियों को भाषा सिखाने के लिए उन अनुवादकों की मदद ली जाएगी जो पहले से ही इजराइल के सरकारी विभागों में कार्यरत हैं। यह पूरी प्रक्रिया पूरी गोपनीयता के साथ संचालित की जाएगी।

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