China Military Infrastructure In LAC : डोकलाम में सैन्य संघर्ष के बाद से चीन-भारत के बीच रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए थे। लेकिन हाल के समय में रिश्ते वापस ट्रेक पर आते हुए दिख रहे हैं। पीएम मोदी भी जल्द चीन का दौरा करने वाले हैं। लेकिन इतिहास को देखते हुए चीन पर भरोसा करना पाना मुश्किल है। अब खबर सामने आई है कि तिब्बत में चीन अपना सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी तेजी से बढ़ा रहा है।
इसके अलावा चीन की तरफ से LAC के करीब तेजी से एयरपोर्ट और एयरबेस का भी निर्माण किया जा रहा है। बता दें कि इससे पहले साल 2022 में चीन ने शिनजियांग प्रांत में ताशकुरगान खुंजेराब हवाई अड्डा का निर्माण किया था। अब उस एयरपोर्ट को अपग्रेड किया जा रहा है।
LAC के करीब एयरपोर्ट को अपग्रेड कर रहा चीन
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, चीन इन हवाई अड्डों पर नए हैंगर, नए टैक्सीवे और सहायक भवन बना रहा है। तिब्बत और शिनजियांग में चीन ने जितने भी हवाई अड्डे बनाए हैं, वे सभी ड्युअल यूज के लिए बनाए गए हैं। यानी इनका इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के साथ-साथ नागरिक अभियानों के लिए भी किया जा सकता है।
चीन ने अपग्रेड करने के लिए लगाए 80 बिलियन युआन
LAC के पास अपनी स्थिति मज़बूत करने के लिए, चीन ने गोंगगर हवाई अड्डे पर दूसरा रनवे, शिगात्से हवाई अड्डे पर हवाई पूर्व चेतावनी विमानों के लिए नए हैंगर, और यूएवी संचालन के लिए अतिरिक्त रनवे बनाए हैं जहाँ से J-16 लड़ाकू विमान और Y-20 भारी परिवहन विमान उड़ान भर सकते हैं। इसके अलावा, 3,000 से 5,500 मीटर की ऊँचाई पर एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (ALG) बनाए गए हैं। अकेले तिब्बत में परिवहन बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने के लिए वर्ष 2024 में 80 अरब युआन आवंटित किए गए हैं। इसके साथ ही, चीन की योजना 10 नए हवाई अड्डे और 47 ALG बनाने की है।
डोकलाम विवाद के बाद डरा चीन, कर रहा ये काम
माना जा रहा है कि 2017 में डोकलाम विवाद के बाद, डर के मारे चीन ने LAC के पास अपनी वायुसेना की ताकत बढ़ानी शुरू कर दी। इसी कड़ी में, तिब्बत और शिनजियांग में 37 से ज़्यादा नए हवाई अड्डे और हेलीपोर्ट बनाए गए। इनमें से 22 ऐसे हैं जिनका इस्तेमाल दोहरे इस्तेमाल यानी सैन्य और नागरिक दोनों तरह के अभियानों के लिए किया जाना है।
आपको बता दें कि सिर्फ़ 2020 में ही 7 नई हवाई सुविधाओं और 7 एयरबेस के अपग्रेडेशन में तेज़ी लाई गई। नए हवाई अड्डों में 5 का अपग्रेडेशन किया गया, जिनमें नए टर्मिनल, हैंगर और रनवे तैयार किए गए। इनकी खासियत यह है कि इन हवाई अड्डों का इस्तेमाल नागरिक और सैन्य दोनों तरह के अभियानों के लिए किया जा सकता है।
इसके अलावा, चीन रनवे की लंबाई भी बढ़ाने में लगा है। ताकि उसके लड़ाकू विमान पूरे भार के साथ तेज़ गति से आसानी से उड़ान भर सकें। दरअसल, तिब्बती पठार की भौगोलिक स्थिति और वातावरण के कारण, उसके लड़ाकू विमान अपनी पूरी शक्ति से उड़ान नहीं भर पाते।