Home > विदेश > ब्रह्मोस की ग्लोबल डिमांड तेज, फिलीपींस के बाद अब ये देश करने जा रहा भारत के साथ डील; चीन की बढ़ेगी टेंशन

ब्रह्मोस की ग्लोबल डिमांड तेज, फिलीपींस के बाद अब ये देश करने जा रहा भारत के साथ डील; चीन की बढ़ेगी टेंशन

Brahmos missile Deal: दोनों देशों के बीच सभी बिंदुओं पर सहमति बन चुकी है, केवल रूस की औपचारिक मंजूरी लंबित है क्योंकि ब्रह्मोस एयरोस्पेस में रूस की 49.5% हिस्सेदारी है.

By: Shubahm Srivastava | Published: December 1, 2025 11:02:09 PM IST



India Brahmos Missile Deal: भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस न सिर्फ दक्षिण एशिया बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी क्षमता का लोहा मनवा चुकी है. पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसके प्रभावी प्रदर्शन ने इसकी प्रतिष्ठा को और बढ़ाया, जिसके बाद दुनिया के कई देशों की इस मिसाइल में रुचि तेजी से बढ़ी है. अब इंडोनेशिया भी ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने की दिशा में गंभीर रूप से आगे बढ़ चुका है, जिससे चीन की रणनीतिक घेराबंदी और मजबूत होगी.

भारत–इंडोनेशिया के बीच 450 मिलियन डॉलर की डील !

भारत और इंडोनेशिया के बीच करीब 450 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस मिसाइल डील को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. हाल ही में नई दिल्ली में हुई तीसरी भारत–इंडोनेशिया रक्षा मंत्रियों की बैठक में इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई. बैठक की सह-अध्यक्षता भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री स्याफ्री स्यामसुद्दीन ने की. दोनों देशों के बीच सभी बिंदुओं पर सहमति बन चुकी है, केवल रूस की औपचारिक मंजूरी लंबित है क्योंकि ब्रह्मोस एयरोस्पेस में रूस की 49.5% हिस्सेदारी है.

इस डील के बाद इंडोनेशिया, फिलीपींस के बाद दूसरा दक्षिण-पूर्व एशियाई देश बन जाएगा जिसने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम खरीदा है. फिलीपींस ने 2022 में ब्रह्मोस की खरीद की थी और वहां धीरे-धीरे इसकी तैनाती भी की जा रही है.

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चीन की चारों तरफ से घेराबंदी

इंडोनेशिया द्वारा ब्रह्मोस हासिल करने का सबसे बड़ा रणनीतिक असर चीन पर पड़ेगा. दक्षिण चीन सागर पर चीन के आक्रामक दावों और विस्तारवादी नीति को देखते हुए, फिलीपींस और वियतनाम पहले ही अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा रहे हैं. अब इंडोनेशिया के ब्रह्मोस से लैस होने पर चीन का समुद्री क्षेत्र उत्तर, पूर्व, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व – चारों दिशाओं से ब्रह्मोस की रेंज में आएगा. इससे चीन पर सामरिक दबाव बढ़ेगा और एशिया–प्रशांत क्षेत्र में शक्ति संतुलन भारत के पक्ष में मजबूत होगा.

भारत के लिए बड़ी कूटनीतिक और आर्थिक उपलब्धि

ब्रह्मोस की बढ़ती वैश्विक मांग भारत की तकनीकी क्षमता, रक्षा उत्पादन कौशल और रणनीतिक विश्वसनीयता को दर्शाती है. यह डील न सिर्फ रक्षा निर्यात को बढ़ाएगी बल्कि दुनिया में भारत को प्रमुख सुरक्षा साझेदार के रूप में स्थापित करेगी. साथ ही, इंडोनेशिया जैसे बड़े मुस्लिम बहुल देश द्वारा ब्रह्मोस खरीदना भारत के लिए कूटनीतिक दृष्टि से भी एक अहम सफलता मानी जा रही है. कुल मिलाकर, ब्रह्मोस मिसाइल का यह नया अध्याय भारत की रक्षा कूटनीति, सैन्य ताकत और क्षेत्रीय प्रभाव के विस्तार का मजबूत संकेत है.

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