Surya Grahan 2025: सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है. इस स्थिति में सूर्य की किरणें कुछ समय के लिए धरती तक नहीं पहुँच पातीं और सूर्य आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है. इसे ही सूर्य ग्रहण कहते हैं. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह घटना पूरी तरह स्वाभाविक है, लेकिन भारतीय संस्कृति और धार्मिक मान्यताओं में इसे विशेष महत्व दिया जाता है. ग्रहण के समय को अशुभ माना जाता है, इस दौरान पूजा-पाठ, भोजन और नए कार्य करने की मनाही होती है.
साल 2025 में सूर्य ग्रहण 21 सितंबर को लगेगा. यह वर्ष का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा. हालांकि भारत में यह दिखाई नहीं देगा, लेकिन विश्व के कई अन्य हिस्सों में इसे देखा जा सकेगा. खगोल विज्ञानियों के अनुसार, यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. भारत में इसके न दिखाई देने के कारण यहां धार्मिक और सामाजिक जीवन पर इसका सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन धार्मिक मान्यता के चलते लोग इस दिन सावधानियां जरूर बरतेंगे.
सूर्य ग्रहण और दान का महत्व
सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है, जिसे विज्ञान अंतरिक्ष की गति और संरचना को समझने के अवसर के रूप में देखता है. लेकिन भारतीय संस्कृति और ज्योतिष में इसका महत्व कहीं अधिक गहरा है. इसे अशुभ समय माना जाता है, जब वातावरण में नकारात्मक ऊर्जाएं सक्रिय हो जाती हैं. इसीलिए ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ और शुभ कार्य करने की मनाही होती है.
हालांकि, मान्यताओं में यह भी कहा गया है कि इस समय किया गया दान सामान्य दिनों की तुलना में कई गुना फलदायी होता है. माना जाता है कि ग्रहण के दौरान दान से नकारात्मक प्रभाव कम हो जाते हैं और घर-परिवार में शांति और समृद्धि बनी रहती है.
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ग्रहण काल में दान क्यों आवश्यक?
धार्मिक दृष्टिकोण से ग्रहण का समय आध्यात्मिक साधना और परोपकार के लिए बेहद खास माना गया है. शास्त्रों में उल्लेख मिलता है कि ग्रहण के दौरान वस्त्र, अन्न, तिल, धान्य और धन का दान करने से पाप कर्मों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है. यह भी विश्वास है कि इस समय दिया गया दान जीवन से संकटों को दूर करता है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान करता है.