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Pitru Paksha 2025: पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए कब से शुरू होगा पितृपक्ष, जानें श्राद्ध और पिंडदान का महत्व

Pitru Paksha 2025 की शुरुआत 7 सितंबर से और समापन 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पर होगा। जानें श्राद्ध और पिंडदान की विधि क्या होती है। साथ ही, इसके महत्व और पूर्वजों को प्रसन्न करने के उपाय।

By: Shraddha Pandey | Last Updated: August 16, 2025 12:59:35 PM IST



हिंदू धर्म में पितृपक्ष (Pitru Paksha) का समय अत्यंत पावन माना जाता है। यह वही अवधि है जब परिवार के सभी लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान जैसे अनुष्ठान करते हैं। मान्यता है कि इस दौरान किए गए कर्म सीधे पितरों तक पहुँचते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त होता है।

साल 2025 में पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो रहा है, जो भाद्रपद पूर्णिमा के बाद प्रारंभ होगा। इसका समापन 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या पर होगा। इस पखवाड़े के दौरान प्रत्येक दिन पूर्वजों के लिए श्रद्धा और भक्ति से अनुष्ठान करना शुभ माना जाता है।

श्राद्ध की प्रक्रिया में प्रातः स्नान करके पूजा स्थल को शुद्ध किया जाता है। इसके बाद तिल, जल और कुशा के साथ तर्पण किया जाता है। पिंडदान को इसमें सबसे महत्वपूर्ण माना गया है, जिसमें चावल या आटे के पिंड बनाकर पूर्वजों को अर्पित किए जाते हैं। कहा जाता है कि इससे उनके सूक्ष्म शरीर को ऊर्जा और संतोष मिलता है।

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पुण्यकारी होते हैं ये कार्य

श्राद्ध सिर्फ धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि परिवार को जोड़ने का अवसर भी है। इसमें ब्राह्मणों को भोजन कराना और दान देना पुण्यकारी माना जाता है। जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात है, उनका श्राद्ध उसी दिन किया जाता है, जबकि जिनकी तिथि अज्ञात हो, उनके लिए सर्वपितृ अमावस्या का दिन रखा गया है।

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पूर्वज कैसे प्रसन्न होते हैं?

पितृपक्ष को जीवन में संतुलन और समृद्धि से भी जोड़ा जाता है। मान्यता है कि जब पूर्वज प्रसन्न होते हैं तो घर में सुख-शांति और उन्नति आती है। यही कारण है कि हर साल इस पखवाड़े में लाखों लोग अपनी परंपरा और आस्था के अनुसार पितरों को याद करते हैं।

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