Home > धर्म > कृष्ण की माया या खगोलीय चमत्कार? जब सूर्यास्त ने बदल दिया कुरुक्षेत्र का परिणाम

कृष्ण की माया या खगोलीय चमत्कार? जब सूर्यास्त ने बदल दिया कुरुक्षेत्र का परिणाम

महाभारत युद्ध में अर्जुन ने शपथ ली थी कि सूर्यास्त से पहले जयद्रथ का वध करेंगे, वरना आत्महत्या कर लेंगे। तभी हुआ सूर्य ग्रहण जिसने बदल दी युद्ध की दिशा। पढ़िए महाभारत की यह अनकही कहानी जो शायद ही आपने पहले कहीं सुनी हो।

By: Shraddha Pandey | Last Updated: August 16, 2025 4:39:52 PM IST



महाभारत युद्ध केवल हथियारों और पराक्रम का संग्राम नहीं था, बल्कि इसमें कई खगोलीय और रहस्यमयी घटनाएं भी निर्णायक बनीं। ऐसी ही एक घटना थी सूर्य ग्रहण की, जिसने युद्ध की दिशा ही बदल दी। जी हां, कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान अर्जुन ने शपथ ली थी कि यदि वो सूर्यास्त से पहले जयद्रथ का वध नहीं कर पाए, तो स्वयं अग्नि में प्रवेश कर अपने प्राण त्याग देंगे। यह प्रतिज्ञा पांडवों की जीत के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी, लेकिन जयद्रथ की रक्षा के लिए कौरवों ने युद्धभूमि को अभेद्य बना दिया था। धीरे-धीरे समय बीतता गया और अर्जुन की प्रतिज्ञा असंभव लगने लगी।

जैसे ही सूर्यास्त का समय नजदीक आया, अर्जुन हताश होने लगे। तभी अचानक आकाश में अंधेरा छा गया, मानो सूर्य अस्त हो गया हो। इसे देख जयद्रथ अपनी सुरक्षित जगह से बाहर आ गया, क्योंकि उसे विश्वास था कि अब अर्जुन अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए आत्मदाह कर लेंगे। लेकिन, ठीक उसी पल सूर्य पुनः दिखाई देने लगा। अर्जुन ने मौका पाते ही अपने बाण से जयद्रथ का वध कर दिया और प्रतिज्ञा भी निभा दी।

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क्या कहती है धार्मिक मान्यताएं

धार्मिक मान्यता है कि यह घटना सूर्य ग्रहण थी, जबकि कई लोग इसे भगवान कृष्ण की दिव्य माया मानते हैं। विज्ञान के दृष्टिकोण से भी इसे ग्रहण की तरह समझा जाता है। यदि यह खगोलीय घटना न होती, तो अर्जुन आत्महत्या कर लेते और महाभारत का परिणाम शायद कभी वैसा न होता जैसा आज हम जानते हैं। यह कथा न सिर्फ पौराणिक रहस्य है, बल्कि यह भी सिखाती है कि धर्म और न्याय की रक्षा के लिए कभी-कभी असामान्य उपाय भी आवश्यक हो जाते हैं।

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