पूरे देश में आज भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बार की जन्माष्टमी पर श्रद्धालुओं के बीच एक खास चर्चा का विषय है नीले रंग का महत्व, जो भगवान कृष्ण की पहचान से गहराई से जुड़ा हुआ है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नीला रंग आकाश और समुद्र की तरह असीमित और गहराई का प्रतीक है। यही कारण है कि भगवान कृष्ण की त्वचा का वर्ण नीला माना जाता है। पौराणिक कथाओं में ये भी उल्लेख मिलता है कि बचपन में पूतना के विष का असर उनके शरीर पर पड़ा था, जिसके चलते उनका रंग नीला हो गया। वहीं, कई विद्वान इसे उनकी दिव्य ऊर्जा और ब्रह्मांडीय शक्ति का प्रतीक मानते हैं।
12 बजे निशीथ पूजा
कृष्ण जन्माष्टमी 2025 इस वर्ष 16 अगस्त की रात मनाई जा रही है। पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग इस बार शुभ योग बना रहा है। रात 12 बजे निशीथ पूजा के दौरान भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। मंदिरों में विशेष भजन-कीर्तन, रासलीला और झांकी सजाने की तैयारियां जोरों पर हैं।
पूरे देश में कृष्ण लीला का आयोजन
देश के विभिन्न हिस्सों में दही हांडी और कृष्ण लीला के आयोजन भी किए जा रहे हैं। खासकर मथुरा और वृंदावन में सजावट और उत्सव की भव्यता देखने लायक है। यहां भक्त नीले रंग के वस्त्र पहनकर और घरों को नीले सजावटी सामान से सजा कर भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट कर रहे हैं। धार्मिक आस्था के साथ-साथ नीला रंग इस बार जन्माष्टमी की मुख्य पहचान बन गया है। श्रद्धालु मानते हैं कि इस रंग का प्रयोग करने से जीवन में शांति, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।