Home > धर्म > Jitiya Vrat 2025: बिहार-यूपी में धूमधाम से मनाया जाने वाला संतान की रक्षा का ये पर्व कब है? जानें तारीख और इसका महत्व

Jitiya Vrat 2025: बिहार-यूपी में धूमधाम से मनाया जाने वाला संतान की रक्षा का ये पर्व कब है? जानें तारीख और इसका महत्व

Jivitputrika Vrat: 14 सितंबर 2025 को रखा जाने वाला जीवित्पुत्रिका यानी जितिया व्रत संतान की रक्षा और दीर्घायु के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। जानिए नहाय-खाय, निर्जला व्रत, पूजा विधि, कथा और पारण का शुभ समय।

By: Shraddha Pandey | Published: August 21, 2025 12:49:14 PM IST



Jivitputrika jitiya Vrat Importance: भारत की परंपराओं में ऐसे कई पर्व हैं जो संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि से जुड़े हैं। इन्हीं में से एक है जीवित्पुत्रिका व्रत, जिसे प्यार से जितिया व्रत भी कहा जाता है। यह खासकर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

2025 में यह व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा। तिथि के अनुसार अष्टमी का आरंभ सुबह 5:04 बजे और समापन अगले दिन 3:06 बजे होगा। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है यानी एक दिन पहले 13 सितंबर को महिलाएं स्नान कर सात्विक भोजन करती हैं। अगले दिन यानी 14 सितंबर को वे पूरे दिन बिना जल और अन्न के कठोर निर्जला उपवास करती हैं। फिर तीसरे दिन यानी 15 सितंबर की सुबह 6:10 से 8:32 बजे तक पारण कर व्रत पूरा किया जाता है।

Shani Amavasya वाले दिन भूल कर भी न करें ये काम, उजड़ जाएगी जिंदगी, सिर पर हाथ धरे बैठे रहेंगे आप, जानिए कब ये ये…

व्रत से जुड़ी खास बातें

इस व्रत से जुड़ी सबसे खास बात है जीमूतवाहन की कथा। मान्यता है कि गंधर्वराज जीमूतवाहन ने अपनी बुद्धिमत्ता और त्याग से नागवंश को संकट से बचाया था। उनकी इसी निस्वार्थ भावना की याद में यह व्रत हर साल किया जाता है। माताएं उनकी पूजा करके यह प्रार्थना करती हैं कि संतान पर कोई संकट न आए।

जितिया व्रत में परंपरागत रूप से मरुआ की रोटी और सतपुतिया की सब्जी भी बनाई जाती है। पूजा में चील और सियार की प्रतिमाएं रखकर उनकी भी आराधना की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्रत का पुण्य और भी बढ़ जाता है।

इस मूलांक के लड़के होते है वफादारी की मिसाल, दिल के होते है एकदम साफ, पत्नी के साथ निभाते हैं जीवन भर का रिश्ता

माताएं क्यों करती हैं जितिया व्रत

कहा जाता है कि इस कठिन उपवास से न केवल बच्चों की रक्षा होती है बल्कि घर में सुख-शांति और संतान के भविष्य में सफलता भी सुनिश्चित होती है। यही वजह है कि आज भी लाखों माताएं पूरे समर्पण और आस्था के साथ जितिया का व्रत करती हैं।

Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इन खबर इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Advertisement