Hartalika Teej Vrat: हरतालिका तीज का दिन हिंदू धर्म में एक अद्भुत भक्ति और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है, जहां महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं, पति के दीर्घायु और सौभाग्य की कामना करती हैं। लेकिन, उस दिन की महिमा तभी पूरी हो जाती है जब आरती की मधुर धुन कानों में गूंजती है, और हृदय से अपार श्रद्धा प्रकट होती है।
तीव्र उपवास और श्रृंगार की तैयारी के बाद जब पूजा स्थल की सजावट, दीपक की ज्योति, पुष्प और भोग सब कुछ समर्पित किया जाता है, तब आरती का आरंभ होता है। आरती की धुन पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप और भक्ति से भरपूर होती है, मानो शिव-पार्वती की महिमा स्वयं मन में उतर आए। यही आरती व्रत को पूर्णता की ओर ले जाती है, जैसे कि व्रत और पूजा को आध्यात्मिक गहराई और ऊर्जा से भर देती है।
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आरती के बिना चाहे पूरे दिन स्नान हो, कथा पाठ हो अथवा व्रत का संकल्प व्रत अधूरा रह जाता है। जब आरती आरंभ होती है, तो मंदिर का वातावरण गरिमामय हो जाता है, नयन भरा भक्ति ने मंत्रमुग्ध कर देती है और व्रतधारी का मन शिव और पार्वती की कृपा की ओर खुल जाता है।
इस तरह की कहानी पाठकों को तीज व्रत की महत्ता और भक्ति की गहराई से जोड़ती है। साथ ही, यह स्पष्ट करती है कि आरती ही वह संगीत है जो व्रत को पूरा करता है और उस पवित्र दिन की पूर्णता का अहसास कराता है।
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