धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी भी कहते हैं, दिवाली पर्व की शुरुआत माना जाता है. इस पावन दिन पर लक्ष्मी, कुबेर एवं धन्वंतरी की पूजा की जाती है और नए बर्तन, आभूषण आदि खरीदना शुभ माना जाता है. लेकिन हिंदू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दिन में एक विशेष अवधि — जिसे राहुकाल या राहुकाल / राहुकालम कहा जाता है — को अशुभ माना जाता है. इस समय कोई शुभ काम शुरू न करना चाहिये, क्योंकि माना जाता है कि राहु ग्रह की नकारात्मक ऊर्जा उस समय प्रभावी होती है.
राहुकाल का समय कैसे निर्धारित होता है?
प्रत्येक दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक समय को आठ भागों में विभाजित किया जाता है, और उनमें से एक विशेष भाग राहुकाल कहलाता है. यह समय सप्ताह के दिन (सोमवार, मंगलवार आदि) के अनुसार बदलता है.
उदाहरण स्वरूप, 18 अक्टूबर 2025 को धनतेरस के दिन राहुकाल सुबह के समय रहेगा — 09:15 AM से 10:40 AM.
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धनतेरस पर कार्य करने की सावधानियां
इस राहुकाल अवधि में कोई नया काम — जैसे धनार्जन, बर्तन या आभूषण खरीदना, बड़े सौदे में हाथ डालना आदि — आरंभ न करें.
यदि अन्य समय उपलब्ध हो, तो पूजा, खरीदारी या अन्य शुभ क्रियाएँ राहुकाल से बाहर के समय में करें.
यदि किसी कार्य की शुरुआत इसी समय हो जाए, तो उसे तुरंत बंद करना या टालना शुभ माना जाता है.
ध्यान रखें कि रास्ते चलना, भोजन करना या सामान्य गतिविधियाँ इस समय जारी रख सकते हैं — उन पर ज़्यादा प्रभाव नहीं माना जाता.
धनतेरस पर सही समय का चयन बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि पूजा और कार्यों का शुभ परिणाम प्राप्त हो. राहुकाल का समय जानना और उससे परहेज़ करना कई ज्योतिषाचार्यों द्वारा सलाह दी जाती है. लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि विश्वास, श्रद्धा एवं अपने प्रयास की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है. आपके नगर या क्षेत्र के अनुसार स्थानीय पंचांग देखकर निश्चित राहुकाल समय देखें और उसी के अनुसार अपने कार्य एवं पूजा-संयोजन करें.

