Chhattisgarh: बचपन से ही भूत-प्रेत और आत्माओं की कहानी सुनने के लिए मिलती है। दादी-नानी अक्सर अपनी गोद में बैठाकर भूतों और अंधेरी रातों की कहानियां सुनाया करते थे। इन्हीं कहानियों ने लोगों को यकीन दिलाया है कि भूत-प्रेत इसी समाज और इंसानी दुनिया का हिस्सा होते हैं। अदृश्य, रहस्यमयी, और कभी-कभी डरावनी चीजों का आभास हर किसी को होता है, लेकिन आजकल के लोग इसे नकार देते हैं। लेकिन भारत में एक ऐसा राज्य है जो आत्माओं को सत्य मानता है। छत्तीसगढ़ में आत्माओं को लेकर एक अलग ही धारणा हैं।
क्या है ‘आना कुड़मा’ परंपरा?
छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के आदिवासी समुदाय आत्माओं को सत्य मानता है। यह समाज भूतों को नकारात्मक नहीं, बल्कि सकारात्मक मानता है। उन लोगों को विश्वास है कि ये आत्माएं कोई भटकती रूह नहीं बल्कि पूर्वजों की दिव्य उपस्थिति हैं। जो आज तक उनके बीच मौजूद हैं और यही उनका मार्गदर्शन करती हैं। उनका मानना है कि पूर्वज उनके बीच ही रहते हैं और रहना चाहते हैं। यहां पर आत्माओं के लिए विशेष घर भी बनाए जाते है। इस ‘आना कुड़मा’ परंपरा भी कहा जाता है। इस परंपरा को करने के लिए किसी तरह के तंत्र-मंत्र का सहारा नहीं लिया जाता है। यह आत्माओं का निवास होता है, जिसे यहां के लोग पवित्र, शांत और श्रद्धा से भरपूर मानते हैं। यहां हर दिन भूतों की पूजा की जाती है। यह भूतों को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं।
आत्माओं की हर रोज होती है पूजा
भारत में एक बार पूर्वजों को याद कर श्राद्ध मनाया जाता है। लेकिन यहां पर आत्माओं को रोजाना पूजा जाता है। साथ ही उनके लिए भोजन भी रखा जाता है। शादी, नई फसल, घर का निर्माण, या कोई भी शुभ कार्य से पहले इन्हें आमंत्रित भी किया जाता है। यहां के लोगों का मानना है कि अगर वह ये नहीं करते हैं तो गांव पर कोई संकट आ सकता है।

