Chhath Puja Scientific Reason: छठ पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पवित्र पर्व है, जो सूर्य देव और छठी मैया की उपासना के लिए समर्पित होता है.कार्तिक मास की छठी तिथि को मनाया जाने वाला छठ पर्व अधिक प्रसिद्ध है. इस व्रत में व्रती चार दिन तक कठोर नियमों का पालन करते हैं, जिसमें शुद्धता, आत्मसंयम और भक्ति का विशेष महत्व होता है. व्रती सूर्यदेव को अर्घ्य देकर जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य और संतान की मंगल कामना करते हैं. वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह पर्व अत्यंत लाभकारी है, क्योंकि सूर्य की किरणें शरीर को ऊर्जा प्रदान करती हैं और मानसिक शांति देती हैं. छठ पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह मानव और प्रकृति के बीच संतुलन और सामंजस्य का अद्भुत उदाहरण भी प्रस्तुत करती है.
सूर्य उपासना का वैज्ञानिक आधार
- सूर्य हमारे सौरमंडल का ऊर्जा स्रोत है. विज्ञान के अनुसार, सूर्य की किरणों में अल्ट्रावायलेट (UV), इंफ्रारेड (IR) और कई अन्य प्रकार की ऊर्जा होती है जो मानव शरीर के लिए आवश्यक हैं.
- छठ के दौरान सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. यह वह समय होता है जब सूर्य की किरणें शरीर को हानि पहुंचाए बिना विटामिन D प्रदान करती हैं.
- सूर्य की किरणें शरीर की त्वचा, रक्त और तंत्रिका तंत्र (nervous system) को सक्रिय करती हैं.
शरीर की शुद्धि और डिटॉक्स प्रक्रिया
- छठ व्रत में व्यक्ति कई दिन तक संयम, सात्विक आहार और उपवास रखता है.
- इससे शरीर में संचित विषैले तत्व (toxins) बाहर निकल जाते हैं.
- उपवास से पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है और मेटाबॉलिज्म (metabolism) बेहतर होता है.
- जल में खड़े रहने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है, जिससे रक्त संचार (blood circulation) सुधरता है.
जल में खड़े रहने का वैज्ञानिक कारण
- छठ पूजा के दौरान व्रती घाट पर जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं.
- जल में खड़े रहने से शरीर पर हाइड्रोस्टेटिक प्रेशर (Hydrostatic Pressure) पड़ता है, जो रक्त को समान रूप से प्रवाहित करता है.
- इससे हृदय और मस्तिष्क पर दबाव कम होता है और शरीर को शांति का अनुभव होता है.
- यह एक तरह की नेचुरल थेरेपी (natural therapy) है जो तनाव को दूर करती है.
पर्यावरण संरक्षण का संदेश
- छठ पर्व पूरी तरह प्राकृतिक तत्वों से जुड़ा है — सूर्य, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश.
- इसमें मिट्टी के बर्तन, गन्ना, फल-फूल, और पत्तों की टोकरी का उपयोग किया जाता है, जिससे पर्यावरण को कोई हानि नहीं होती.
- यह पर्व हमें सिखाता है कि प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहना ही सच्ची पूजा है.
ये फल छठ पूजा में क्यों नहीं चढ़ाए जाते? जानें पूरी वजह
मानसिक शांति और ध्यान
- व्रती पूरी निष्ठा और शुद्ध मन से छठ का पालन करते हैं.
- यह प्रक्रिया मन को एकाग्र, शांत और संयमित बनाती है.
- मनोविज्ञान के अनुसार, ध्यान और उपवास से मानसिक स्थिरता बढ़ती है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.
छठ पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह वैज्ञानिक दृष्टि से एक समग्र जीवनशैली को दर्शाती है. इसमें शरीर, मन और आत्मा तीनों की शुद्धि होती है. यह पर्व हमें प्रकृति, अनुशासन और आत्मसंयम का महत्व सिखाता है.