Chhoti Diwali 2025 Ka Mehtav: छोटी दिवाली के त्योहार की हिंदू धर्म में बहुत मान्यता है. ये दीपोत्सव के दूसरे दिन मनाई जाती है. पर इस त्योहार को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. तो आइए जानते हैं कि छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी क्यों कहते हैं और इसके पीछे की वजह क्या है?
नरकासुर वध की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, द्वापर युग में एक अत्याचारी राक्षस था — नरकासुर. उसने अपने बल और सामर्थ्य से देवताओं और ऋषियों को परेशान करना शुरू कर दिया था. यहां तक कि उसने स्वर्ग की अप्सराओं और देवी-देवताओं की कन्याओं को भी बंदी बना लिया था. उसके अत्याचारों से पृथ्वी, स्वर्ग और पाताल तीनों लोकों में हाहाकार मच गया.
भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर का वध किया और सभी बंदियों को मुक्त कराया. यह घटना कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हुई थी. तभी से इस दिन को “नरक चतुर्दशी” के रूप में मनाया जाने लगा. यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है.
छोटी दिवाली का महत्व
नरकासुर के वध के बाद लोगों ने अपने घरों में दीप जलाकर खुशी मनाई. इसीलिए इस दिन को “छोटी दिवाली” कहा जाता है, क्योंकि अगले दिन मुख्य दीपावली मनाई जाती है. छोटी दिवाली के दिन घर की सफाई, दीपदान और विशेष स्नान का महत्व होता है.
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अभ्यंग स्नान का महत्व
शास्त्रों में कहा गया है कि नरक चतुर्दशी के दिन प्रातःकाल तिल के तेल से अभ्यंग स्नान करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है. इस स्नान को “नरक स्नान” कहा जाता है. माना जाता है कि इससे शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं, और व्यक्ति के जीवन से पाप, दोष और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
रूप चौदस का भाव
कई स्थानों पर इसे “रूप चौदस” भी कहा जाता है. इस दिन सौंदर्य और आभा की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्वयं को शुद्ध और सुंदर बनाकर लक्ष्मी जी का स्वागत करने से सौंदर्य, समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है.
Chhoti Diwali 2025: 2 दिन बाद मनाई जाएगी छोटी दिवाली, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इनखबर इस बात की पुष्टि नहीं करता है)