Home > राजस्थान > 15 दिन से पत्थरों में ‘दफन’ थी जिंदगी, फिर कैसे हुआ ‘जंगल में मंगल’ जानने के लिए पढ़ें यह स्टोरी

15 दिन से पत्थरों में ‘दफन’ थी जिंदगी, फिर कैसे हुआ ‘जंगल में मंगल’ जानने के लिए पढ़ें यह स्टोरी

Rajasthan News: डॉ. मुकेश धाकड़ ने बताया कि बच्चा बेहद कमजोर हालत में लाया गया. उसके मुंह पर फेवी क्विक लगाने से कट के निशान बन गए हैं और गर्मी के कारण शरीर का बायां हिस्सा पूरी तरह से झुलस गया है.

By: Mohammad Nematullah | Last Updated: September 24, 2025 10:51:31 AM IST



Rajasthan News: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले क्षेत्र में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना मंगलवार को सामने आई. बिजोलिया-माल का खेड़ा रोड स्थित सीताकुंड के जंगलों में एक 10-12 दिन का नवजात पत्थरों के बीच दबा हुआ मिला. हैवानियत की हद ये रही कि मासूम का मुंह फेवी क्विक से चिपका दिया गया था. यदि समय पर चरवाहों ने बच्चे की दबे स्वर में आती चीख न सुनी होती, तो शायद यह मासूम जिंदा न बचता.

गांव वालों ने बचाई जान

पशु चराने गए चरवाहों को जंगल से करुण को चीखें सुनाई दीं. जब वे पास पहुंचे तो पत्थरों के बीच से आवाजें आ रही थीं. तत्काल ग्रामीणों और नज़दीक मंदिर पर मौजूद लोगों को बुलाया गया. सभी ने मिलकर पत्थर हटाए तो वहां जिंदगी के लिए तड़पता हुआ मासूम मिला. गर्मी और दबाव से उसका शरीर झुलस चुका था और मुंह का कुछ हिस्सा फेवी क्विक से बंद था.

मौके पर पहुंची पुलिस

सूचना मिलने पर बिजोलिया थाने से दीवान ताराचंद मय जाब्ता मौके पर पहुंचे. नवजात को 108 एंबुलेंस से बिजोलिया अस्पताल ले जाया गया. जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया. डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे का लेफ्ट साइड शरीर झुलसने से घायल है, लेकिन फिलहाल उसकी हालत स्थिर है. वही मामला मांडलगढ़ थाना क्षेत्र का होने से जांच वहां ट्रांसफर की गई है.

डॉक्टर ने क्या बताया?

वहीं नवजात को सुरक्षित जिला अस्पताल भेज दिया गया है. अब पुलिस उस कुमाता निर्दयी मां की तलाश में जुटी है. जिसने अपने ही मासूम को मौत के मुंह में धकेलने की कोशिश की. घटना के बाद ग्रामीणों में आक्रोश है. लोग कह रहे हैं कि मां जैसी ममता रखने वाली शक्ल से ऐसी हैवानियत की उम्मीद नहीं की जा सकती. गांव भर में चर्चा है कि इंसानियत इतनी गिर चुकी है कि कोई अपने ही खून को पत्थरों के नीचे दबा दे और उसका मुंह तक सील कर दे.

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Input: प्रहलाद तेली

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