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भारत का ‘अमीरों का स्कूल’, जहां Students पालकी में 300 नौकरों संग पहुंचा, रोचक किस्से जानें

Mayo College: 'ईटन ऑफ द ईस्ट' कहे जाने वाले इस नामी स्कूल में 7वीं, 9वीं और 11वीं में एडमिशन मिलता है. इसकी आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक सालाना फीस 10,53,000 रुपये है.

By: Mohammad Nematullah | Last Updated: September 28, 2025 8:36:54 AM IST



Mayo College Ajmer: भारत में एक स्कूल है जिसे ‘अमीरों का स्कूल’ कहा जाता है. ये ब्रिटिश राज के दौरान अंग्रेज शासकों और राजाओं के बच्चों के लिए खोला गया था. अलवर के महाराजा इसके पहले छात्र थे. हम बात कर रहे हैं राजस्थान के अलवर में स्थित मेयो कॉलेज की जो भारत के सबसे पुराने बोर्डिंग पब्लिक स्कूलों में से एक है.

1875 वायसराय लॉर्ड में स्थापना की (Established in 1875 by the Viceroy Lord)

मेयो कॉलेज की स्थापना 1875 में हुई थी. इसकी शुरुआत 1869 में हुई थी जब लेफ्टिनेंट कर्नल एफ.के.एम. वाल्टर ने ‘अमीरों के बच्चों’ के लिए एक स्कूल का विचार रखा था. 1870 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड मेयो ने शाही उत्तराधिकारियों की शिक्षा के लिए अजमेर में एक ‘राजकुमार कॉलेज’ की कल्पना की थी.

इसका निर्माण 1877 में शुरू हुआ और ₹3.28 लाख (लगभग 15 लाख अमेरिकी डॉलर) की लागत से 1885 में पूरा हुआ. मेजर मेयो द्वारा डिज़ाइन किया गया प्रतिष्ठित मुख्य भवन 1885 में बनकर तैयार हुआ था. समय के साथ स्कूल का विस्तार हुआ और दूसरे राज्यों और अमीर परिवारों के बच्चों का स्वागत करने लगा.

मेयो कॉलेज की पहले छात्र महाराजा के पुत्र राजकुमार मंगल थे (The first student of Mayo College was Prince Mangal, son of the Maharaja)

मेयो कॉलेज की शुरुआत अलवर के महाराजा के पुत्र राजकुमार मंगल सिंह के पहले छात्र के रूप में हुई थी. उस समय स्कूल के प्रिंसिपल ओलिवर सेंट जॉन थे. ऐसा कहा जाता है कि राजकुमार मंगल सिंह (जो बाद में महाराजा बने) 300 से ज़्यादा सेवकों के साथ एक पालकी में सवार होकर आए थे और पालकी के आगे-पीछे घुड़सवार भी थे.

महाराणा प्रताप के वंशजों ने मेयो स्कूल में शिक्षा प्राप्त की (Maharana Pratap’s descendants studied at Mayo School)

इस स्कूल से शिक्षा प्राप्त करने वाले राजकुमारों ने कई रियासतों पर शासन किया है. महाराणा प्रताप के वंशज और पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ ने भी मेयो कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की थी. वे 1953 से 1959 तक इसके छात्र रहे. 2024 में 83 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया. आज भी डिप्लोमैट्स से लेकर बिजनेसमैन तक अमीर परिवार के बच्चे इस स्कूल में पढ़ते है.

प्रवेश कैसे प्राप्त करें? (How to get admission?)

‘ईटन ऑफ द ईस्ट’ के नाम से प्रसिद्ध ये स्कूल कक्षा 7वीं, 9वीं और 11वीं में एडमिशन मिलता है. एडमिशन के लिए ऑफलाइन (पेन-पेपर मोड) में एप्टीट्यूड एनालिसि टेस्ट (जो सितंबर में होता है) आयोजित किया जाता है. परीक्षा क्लियर करने वाले छात्र को उनके पेरेंट्स के साथ शिक्षा समिति के साथ बातचीत के लिए बुलाया जाता है. जो नवंबर से जनवरी तक चलती है. मेयो स्कूल में 9 से 18 वर्ष की आयु के लगभग 850 छात्र हैं.

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